गरियाबंद में धान खरीदी पर कांग्रेस के घोषणा पत्र का ज्यादा असर नहीं दिख रहा
किसान सरकार बदलने का इंतजार कर रहे इसीलिए अपने धान की ब्रिकी रोक रखी है

गरियाबंद, । कांग्रेस के घोषणा पत्र मे किसानो को 2500 रूपए प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य, कर्ज माफी और दो साल का बोनस देने की बात कही गई थी। जिसके बाद से पूरे प्रदेश में किसानो में असमंजस्य की स्थिति देखी जा रही थी। धान खरीदी शुरू होने के बाद से कई जगहो से धान की आवक कम होने के समाचार भी मिलते रहे है। जिससे अनुमान लगाया जा रहा था कि किसान सरकार बदलने का इंतजार कर रहे इसीलिए अपने धान की ब्रिकी रोक रखी है। लेकिन गरियाबंद जिले मे धान ब्रिकी के जो आकड़े मिल रहे है वो इससे उलट साबित हो रहे है। एक नंबवर से धान खरीदी शुरू होने के बाद से अब तक जिले मे कुल 310136 क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है। जबकि पिछले वर्ष अब तक की स्थिति में 58430 क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। जिसके मुताबिक इस वर्ष गत वर्ष से पांच गुणा अधिक धान की आवक हो चुकी है। इसके साथ ही धान का उठाव भी लगातार जा रहीं हैं ।
पिछले वर्ष के आकड़ो पर नजर डाली जाये तो पिछले वर्ष 2017 में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू हुई थी जिसके शुरू के 13 कार्यालयीन दिनो के बाद जिले में कुल 58430 क्विंटल धान की आवक हुई थी। इस वर्ष एक नंवबर से धान खरीदी की शुरू हुई है और अभी भी खेतो में धान कटाई जारी है। इसके बाद भी पहले 13 कार्यालयीन दिनो में जो धान के आवक के आकड़े मिल रहे है वह कांग्रेस के घोषणा पत्र के हिसाब से आश्चर्यजनक है। इसे देखकर यह स्पष्ट रूप से नहीं कह सकते कि जिले मे भी किसानो ने समर्थन मूल्य बढ़ने, कर्ज माफी और बोनस राशि मिलने की उम्मीद में अपने धान की ब्रिकी रोक रखी है। हालांकि कुछ किसानो से चर्चा करने पर उन्होंने जरूर सरकार बदलने के इंतजार की बात कहीं परंतु इसके लिये धान ब्रिकी रोकने की बात को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने इसके पीछे धान की कटाई नहीं होना बताया। इस संबंध मे धान बेचे किसान जागेश्वर साहू ने बताया कि उन्होंने 22 नवंंबर को ही 14 क्विंटल धान बेचा हैं।
कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर उसने कहा की यह निश्चित नहीं किसकी सरकार आयेगी और सरकार आते ही तुरंत सभी बातो पर अमल भी जायेगा। इसलिये उन्होंने धान बेच दिया। फुलकर्रा के कृषक गोविंद यादव ने कहा कि सरकार बदलने की बात किसानो के दिमाग में है परंतु धान की कटाई नहीं होने के कारण अधिकांश किसानो का धान मंडी तक नहीं पहुँचा हैं। एक अन्य किसान वसीम खान ने बताया कि गत वर्ष की तुलना मे इस बार 15 दिनो पहले धान खरीदी शुरू है। इसलिये भी धान की आवक कम नजर आ रही हैं। एक और किसान ने नाम नहीं बताने की शर्त मे कहा कि वर्तमान सरकार मे समर्थन और बोनस दोनो मिर रहा और इसी सरकार ने इसकी शुरुआत भी की थी। इस सरकार पर यकीन करते मैंने धान बेच दिया हैं ।


