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कांग्रेस नेतृत्व को चिंता की आवाजें सुननी चाहिए : सिब्बल

ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और कई कांग्रेसी नेताओं की ओर से पार्टी में सुधार संबंधी विचार प्रकट करने के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री सिब्बल ने भी माना है कि ऐसे विचारों को सुना जाना चाहिए

कांग्रेस नेतृत्व को चिंता की आवाजें सुननी चाहिए : सिब्बल
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नई दिल्ली। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने और कई कांग्रेसी नेताओं की ओर से पार्टी में सुधार संबंधी विचार प्रकट करने के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी माना है कि ऐसे विचारों को सुना जाना चाहिए। पिछले कुछ समय से कांग्रेस के नेता इस संबंध में भी अपने विचार प्रकट कर चुके हैं कि पार्टी का नेतृत्व किसे करना चाहिए। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, "मुझे लगता है कि उन सार्वजनिक बयानों को सुना जाना चाहिए।"

सिब्बल ने कहा, "मैं उन लोगों में से एक हूं, जिन्होंने कभी इन मुद्दों पर सार्वजनिक बयान नहीं दिया। मुझे लगता है कि ये पार्टी के मामले हैं, लेकिन मेरे कुछ सहयोगी हैं, जिन्होंने सार्वजनिक टिप्पणियां की हैं। मुझे लगता है कि उन सार्वजनिक बयानों को सुना जाना चाहिए और इसे स्पष्ट रूप से राजनीतिक दलों और किसी भी अन्य संगठन को सुनना चाहिए, जिन्हें अपने कायाकल्प की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि पार्टी को कायाकल्प की जरूरत है। आगे बढ़ें और अगर कोई त्रुटियां हैं तो उन्हें सुधारें।"

कांग्रेस नेता ने जोर देकर कहा कि जिन लोगों के पास नेतृत्व की जिम्मेदारी है, उन्हें उन लोगों की चिंताओं को सुनना चाहिए। सिब्बल ने कहा, "मुझे लगता है कि जो लोग चिंतित हैं और सार्वजनिक बयान देते हैं और जो लोग पार्टी मामलों का नेतृत्व करते हैं, दोनों को एक-दूसरे की बातें सुननी चाहिए। इसके अलावा मुझे लगता है कि पार्टी को एकजुट होना चाहिए और रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए, ताकि वह भारत के लोगों के दिमाग में वापस आ सके। कांग्रेस उनके दिमाग में काफी वर्षो तक रही है।"

सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने पर सिब्बल ने कहा, "मैंने 30 साल तक राजनीति में रहने के बावजूद कभी किसी भी चीज के लिए सौदेबाजी नहीं की। मगर यह एक व्यक्तिगत मुद्दा है।"

कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान सरकार की रेटिंग लोगों के दिमाग में तेजी से कम हो रही है और यह पार्टी का कर्तव्य है कि हम लोगों को विकल्प दें। अगर हम विकल्प दे पाते हैं तो पासा पलट जाएगा।

हाल के दिनों में मनीष तिवारी, अश्वनी कुमार और संदीप दीक्षित सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे को उठाया है। दीक्षित ने इस पर कहा, "असाधारण परिस्थिति असाधारण समाधान की मांग करती है।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को राहुल गांधी से बात करनी चाहिए।

दीक्षित ने आईएएनएस को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "अगर नहीं, तो एक नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाना चाहिए और पार्टी में अनिश्चितता जल्द खत्म होनी चाहिए।"

कुछ महीने पहले राहुल गांधी ने कहा था कि वह फिर से पार्टी के अध्यक्ष नहीं बनेंगे और यह समय है कि नया पार्टी प्रमुख गांधी परिवार के बाहर से हो। इसे याद करते हुए सिब्बल ने कहा, "राहुल गांधी ने खुद सुझाव दिया है कि परिवार के बाहर से अध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। कार्यसमिति को एक नया अध्यक्ष नहीं मिला। इसने पार्टी में एक निराशा पैदा की है। लेकिन अगर वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं, तो उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इसमें अनिश्चितता क्यों है? हमें एक संगठित तरीके से अपनों के बीच बात करनी चाहिए और कम से कम एक चर्चा शुरू करनी चाहिए और अगर आपको राहुल गांधी की ही जरूरत है तो सभी वरिष्ठ नेताओं को उन्हीं के लिए जाना चाहिए।"

इससे पहले कांग्रेस से वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने मांग की थी कि कांग्रेस में पार्टी अध्यक्ष के पद को भरने के लिए चुनाव होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने के लिए और मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व का चुनाव कराया जाए।

वहीं एक और वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा था कि संगठनात्मक सुस्ती को खत्म करने के लिए चिंतन बैठक होनी चाहिए।

इससे पहले दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर सवाल उठाते हुए कहा था, "कांग्रेस के कई बड़े नेता डरते हैं, यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश नहीं हो पाई है। डर की वजह है कि कौन बिल्ली के गले में घंटी बांधे।"


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