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कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा को मिली जमानत

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के पूर्व विधायक और कांग्रेस उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा को गुरुवार को जमानत दे दी

कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा को मिली जमानत
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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब के पूर्व विधायक और कांग्रेस उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा को गुरुवार को जमानत दे दी। उन्हें 11 नवंबर को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था। दो बार के विधायक पटियाला जेल में बंद हैं। 57 वर्षीय खरा पंजाब के कपूरथला जिले के भोलाथ से चुनाव लड़ रहे हैं।

दोनों के वकीलों को लंबी सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर ने खैरा की याचिका स्वीकार कर ली, जो 13 दिसंबर को उच्च न्यायालय में दायर की गई थी।

इससे पहले, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की विशेष अदालत ने यह देखते हुए उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी कि जांच चल रही है और आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है, जो जांच में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर सकता है।

ईडी ने दावा किया कि वह ड्रग मामले के दोषियों और फर्जी पासपोर्ट रैकेटरों का सहयोगी था।

जमानत देने पर प्रतिक्रिया देते हुए, खैरा के वकील बेटे मेहताब ने कहा, "हमने ईडी और भाजपा द्वारा झूठे मामले के खिलाफ 50 प्रतिशत लड़ाई जीती है। बाकी आधे लोगों को 20 फरवरी को लोगों की अदालत में जीता जाएगा, क्योंकि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं।"

ईडी ने उन्हें 11 नवंबर, 2021 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। 19 नवंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

2007 के विधानसभा चुनावों में भोलाथ से अकाली दल की नेता बीबी जागीर कौर, (एसजीपीसी अध्यक्ष चुनी जाने वाली पहली महिला) को हराकर प्रसिद्धि पाने वाली खैरा ने जनवरी 2019 में पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के 'तानाशाही' रवैये का हवाला देते हुए आप से इस्तीफा दे दिया था और अपना खुद का संगठन पंजाब एकता पार्टी बना लिया।

बाद में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए।

खैरा के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने अब बीबी जागीर कौर को पार्टी प्रत्याशी के रूप में खड़ा किया है।

इससे पहले पिछले साल मार्च में केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस मामले के सिलसिले में चंडीगढ़ में खैरा से जुड़े आठ स्थानों और दिल्ली में उनके दामाद की संपत्ति पर भी तलाशी ली थी।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस सिलसिले में 3.5 करोड़ रुपये के मनी ट्रेल का पता लगाया है।

हालांकि, 1992 में कपूरथला के रामगढ़ गांव से पंचायत सदस्य के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू करने वाले खैरा ने किसी भी गलत काम से इनकार किया था। उनके वकील ने कहा था कि छापेमारी इसलिए की गई, क्योंकि खैरा ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था।


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