कांग्रेस और उसके नेता 'पैंडेमिक' पीरियड में पोलिटिकल पाखंड की प्रयोगशाला' बन गए हैं : नकवी
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि 'सामंती फोटो फ्रेम में फिक्स फैमिली' को भारत की संस्कृति और संस्कार से सराबोर सहिष्णुता समझ में नहीं आएगी

नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि 'सामंती फोटो फ्रेम में फिक्स फैमिली' को भारत की संस्कृति और संस्कार से सराबोर सहिष्णुता समझ में नहीं आएगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा अमेरिका के पूर्व राजनयिक निकोलस बर्न्स से बातचीत के दौरान असिष्णुता का मुद्दा एक बार फिर उठाए जाने पर नकवी ने शनिवार को कहा, " 'भारत के सहिष्णुता के डीएनए बदलने' का ज्ञान देने वाले 'कांग्रेसी अज्ञानियों' को समझना होगा कि 'सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:' सनातन संस्कृति-संस्कार ही भारत का डीएनए था, है और रहेगा। देश अपनी संस्कृति, संस्कार, सहिष्णुता के किसी 'पोलिटिकल पाखंड' की प्रयोगशाला में डीएनए टेस्ट का मोहताज नहीं है। भारत की इसी संस्कृति-संस्कार-संकल्प ने इतने बड़े देश को अनेकता में एकता के सूत्र से बांध रखा है।
नकवी ने कहा कि सच तो यह है कि पिछले एक दशक से ज्यादा समय से सबका साथ, सबका विकास के संकल्प से काम करने वाले नरेंद्र मोदी 'बोगस बैशिंग ब्रिगेड' की असहिष्णुता के सबसे बड़े शिकार रहे हैं। यह 'साजिशी सिंडिकेट देश को बदनाम करने की 'साजिशी सनक' में पागलपन की हद तक पहुंच गए हैं।
नकवी ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस और उसके नेता 'पैंडेमिक पीरियड में पोलिटिकल पाखंड की प्रयोगशाला' बन गए हैं। 'संकट के समाधान' का हिस्सा बनने की बजाय सियासी व्यवधान का किस्सा बनते जा रहे हैं।
नकवी ने कहा कि कांग्रेस का राजनैतिक कंटक उसकी सोच का संकट बन गया है। कांग्रेस के नेता इसी संकट की सियासी सनक में देश की छवि खराब करने की साजिश में लगे हैं, कभी आतंकवादियों के मारे जाने पर सवाल, कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर बवाल, कोरोना से लड़ाई पर कन्फ्यूजन फैलाना और अब देश को असहिष्णु साबित करने का प्रपंच, कांग्रेस एवं उसके नेताओं द्वारा देश की संस्कृति, संस्कार, सुरक्षा एवं संकल्प के प्रति अज्ञानता की पराकाष्ठा है।


