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नीतीश के साथ हेमंत की बढ़ती दोस्ती को लेकर झारखंड में सहज नहीं है कांग्रेस

विपक्षी एकता की मुहिम पर निकले नीतीश कुमार की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बढ़ती दोस्ती को लेकर झारखंड कांग्रेस सहज नहीं है

नीतीश के साथ हेमंत की बढ़ती दोस्ती को लेकर झारखंड में सहज नहीं है कांग्रेस
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रांची। विपक्षी एकता की मुहिम पर निकले नीतीश कुमार की झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बढ़ती दोस्ती को लेकर झारखंड कांग्रेस सहज नहीं है। बीते बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने जब मुलाकात की, तो कांग्रेस ने इससे दूरी बनाकर रखी। जबकि कांग्रेस झारखंड के सत्ताधारी गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के बाद सबसे बड़ी साझीदार है।

राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस नीतीश के विपक्षी एकता अभियान में किस हद तक भागीदार बनती है यह तो वक्त बताएगा, लेकिन झारखंड के स्थानीय-प्रांतीय सियासी समीकरणों के नजरिए से देखें तो कांग्रेस के लिए यह मुफीद नहीं होगा कि नीतीश की पार्टी यहां के सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बने।

जदयू झारखंड में चुनावी गठबंधन का हिस्सा बनता है तो सीटों के बंटवारे में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। अगर जदयू को सीटें मिलती हैं तो कांग्रेस का कोटा कम होगा।

फिलहाल झारखंड में जदयू का सियासी अस्तित्व नगण्य है। राज्य में इसका एक भी विधायक नहीं है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो भी बिहार से राज्यसभा के लिए चुने गये हैं। जदयू की कोशिश है कि झारखंड में भी पार्टी की सियासी हिस्सेदारी-भागीदारी बढ़े और इसके लिए वह झामुमो को सबसे बेहतरीन साझीदार मान रहा है।

बुधवार को रांची आए नीतीश कुमार ने हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन ने अपने पुराने रिश्तों का जिक्र किया। कहा कि उन्हें पहली बार बिहार का सीएम शिबू सोरेन ने ही बनवाया था। झामुमो के साथ हमारा पुराना रिश्ता रहा है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी नीतीश कुमार का खुलकर स्वागत किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हमारे गार्जियन हैं और हम नयी पीढ़ी के राजनीतिक सिपाही हैं। हमें इनसे बहुत कुछ सीखना है, राज्य की क्षेत्रीय अस्मिता और देश की एकता कैसे बचे इस मुद्दे पर इनका मार्गदर्शन हम लेते रहेंगे। मौजूदा हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नीतीश कुमार के साथ पॉलिटिकली कंफर्टेबल पोजिशन में हैं और आगे भी अपनी यारी को बरकरार रखना चाहेंगे। हालांकि राजनीतिक जानकार कहते हैं कि वह कांग्रेस से दोस्ती की कीमत पर नीतीश की पार्टी के साथ गठबंधन जैसा कदम कतई नहीं उठाना चाहेंगे। यह जरूर है कि वह झारखंड में दोनों दलों को साथ लेकर चलने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन यह बहुत हद तक कांग्रेस की मर्जी पर ही निर्भर करेगा। फिलहाल कांग्रेस की ओर से नीतीश-हेमंत के बीच बढ़ती दोस्ती पर किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह सच है कि वह इसे लेकर सहज नहीं है।


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