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मप्र में कांग्रेस बना रही है नई टीम

मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव के जरिए कांग्रेस नई टीम तैयार करने में जुट गई है।

मप्र में कांग्रेस बना रही है नई टीम
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भोपाल | मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव के जरिए कांग्रेस नई टीम तैयार करने में जुट गई है। इस टीम में अधिकांश वे चेहरे हैं जो अब तक खास क्षेत्र तक ही सीमित रहे हैं।

राज्य में कांग्रेस की सबसे बड़ी समस्या गुटबाजी रही है और इस पर लगाम लगाने की लंबे अरसे से कोशिश जारी है। राज्य की कमान संभालने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने गुटबाजी को खत्म करने के हर संभव प्रयास किए। इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ दी, जिससे पार्टी का एक गुट पूरी तरह समाप्त हो गया, तो वहीं अन्य गुटों से नाता रखने वाले नेताओं की संख्या भी लगातार कम होती गई।

वर्तमान में राज्य में हो रहे विधानसभा के उप-चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष कमल नाथ ने कांग्रेस में एक नई टीम बनाने की कवायद तेज की है। इस टीम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, नर्मदा प्रसाद प्रजापति, लाखन सिंह यादव, सचिन यादव और अपेक्स बैंक के पूर्व प्रशासक अशोक सिंह सहित अनेक नेताओं को शामिल किया गया है। इस नई टीम से पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, सुरेश पचौरी, डॉ. गोविंद सिंह सहित तमाम दूसरे बड़े नेता नदारद नजर आ रहे हैं जो कभी पार्टी में गुटबाजी की पहचान रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया का मानना है कि जब राजनीतिक दल नए चेहरों को सामने लाते हैं तो उसकी खूबी यह है कि विरोधी के पास बहुत कुछ कहने के लिए नहीं होता। कांग्रेस भी इसी रणनीति और जातिगत वोट बैंक को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है। यही कारण है कि कांग्रेस में नई टीम दिख रही है। जहां तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बात है तो पार्टी चुनाव मैदान की बजाय प्रबंधन में उपयोग कर रही है।

ग्वालियर-चंबल वह इलाका है जहां अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की संख्या बड़े पैमाने पर है, इसी को ध्यान में रखकर इन दोनों वगरें से नाता रखने वाले नेताओं को कांग्रेस ने आगे किया है।

कांग्रेस के प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि यह चुनाव प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के नेतृत्व में लड़ा जा रहा है। पार्टी एक जुट है, जिस नेता को कमल नाथ जो जिम्मेदारी सौंप रहे हैं, उसे वह निभा रहा है। जिस नेता का जिस क्षेत्र में प्रभाव है, वहां संबंधित नेता को तैनात किया जा रहा है। यह तो चुनावी रणनीति का हिस्सा है।


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