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‘दिल रो रहा है’: हार के बाद फिर पढ़े गए कांग्रेस के मर्सिये

पांच राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस एक बार फिर वजूद का संकट झेल रही है. उसके खत्म हो जाने के दावे किए जा रहे हैं.

‘दिल रो रहा है’: हार के बाद फिर पढ़े गए कांग्रेस के मर्सिये
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मुंह की खाने वाली कांग्रेस के लिए एक बार फिर खत्म हो जाने जैसे दावे किए जा रहे हैं. पार्टी के अंदर और बाहर से ऐसी आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं कि पार्टी का अब कोई भविष्य नहीं है. तथाकथित बागी गुट के नेता गुलाम नबी आजाद ने नतीजों पर प्रतिक्रिया में कहा है कि उनका दिल रो रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अपनी पार्टी में विलय की पेशकश दी है.

कांग्रेस के लिए पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे लगभग शून्य रहे हैं. उसके हाथ से वो पंजाब भी जाता रहा जहां उसकी बहुमत की सरकार थी. उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों में कांग्रेस की हालत और पतली हो गई है जबकि यहां सरकार विरोधी माहौल होने की बात कही जा रही थी. और उत्तर प्रदेश में भी पार्टी का पतन जारी है.

4 राज्यों में बीजेपी और पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिली हैं जो पिछली बार से भी पांच कम हैं. पंजाब में उसे 59 सीटों का नुकसान हुआ है और वह 18 पर सिमट गई है. उत्तराखंड में उसे पिछली बार से सात अधिक यानी 18 सीटें मिली हैं लेकिन सरकार बनाने के वह आसपास भी नहीं पहुंच पाई. गोवा में आठ सीटों के नुकसान के साथ वह 12 पर आ गई है जबकि मणिपुर में 23 सीटों के नुकसान के साथ उसे सिर्फ 5 सीटें मिल पाई हैं.

‘दिल रो रहा है'

हार को स्वीकार करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि वह इन नतीजों से सीखने की कोशिश करेंगे. गुरुवार को ट्विटर पर उन्होंने कहा, "विनम्रता से मैं जनादेश स्वीकार करता हूं. जिन्हें जनादेश मिला है उन्हें शुभकामनाएं. इससे सीखेंगे और भारत के लोगों की भलाई के लिए काम करना जारी रखेंगे.”

कांग्रेस अब सिर्फ दो राज्यों में सिमट गई है. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही उसकी सरकारें हैं. कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संकेत दिया है कि कार्यसमिति की बैठक बुलाई जाएगी लेकिन कई पार्टी नेताओं ने असंतोष जाहिर किया है. वरिष्ठ कांग्रेसी गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मैं सदमे में हूं. एक के बाद एक राज्यों में हार देखकर मेरा दिल रो रहा है. हमने अपनी पूरी जवानी और जिंदगी इस पार्टी को दे दी. मुझे यकीन है कि पार्टी नेतृत्व सभी कमजोरियों और खामियों पर ध्यान देगा जिनके बारे में मैं और मेरे साथी लगातार बोलते रहे हैं.”

अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता शशि थरूर ने कहा कि हर कांग्रेसी को इन नतीजों से आहत किया है और अब बदलाव को रोका नहीं जा सकता. ट्विटर पर थरूर ने लिखा, "हम सब जो भी कांग्रेस में यकीन करते हैं, हालिया विधानसभा नतीजों से दुखी हैं. वक्त आ गया है कि भारत के उस विचार को फिर से पुष्ट किया जाए जिसके लिए कांग्रेस हमेशा खड़ी रही है. देश को एक सकारात्मक एजेंडा दिया जाए और हमारे संगठन के नेतृत्व में इस तरह सुधार किया जाए कि लोगों को प्रेरणा मिले. एक बात साफ है कि अगर हमें सफल होना है तो परिवर्तन को अब टाला नहीं जा सकता.”

टीएमसी की पेशकश

चुनाव नतीजों के बाद तृणमूल कांग्रेस ने एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि यह पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने में एक बार फिर नाकाम रही है. टीएमसी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को उनकी पार्टी में अपना विलय कर देना चाहिए.

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पश्चिम बंगाल के परिवहन और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि इतनी पुरानी पार्टी कैसे गायब होती जा रही है. कांग्रेस को टीएमसी के साथ विलय कर लेना चाहिए. यह सही समय है. उसके बाद हम राष्ट्रीय स्तर पर महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के सिद्धांतों के जरिए गोडसे के सिद्धांतों से लड़ सकते हैं.”

टीएमसी प्रवक्ता कुनाल घोष ने भी हाकिम के सुर में सुर मिलाते हुए कहा, "हम लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि बीजेपी जैसी ताकतों के साथ कांग्रेस नहीं लड़ सकती. बीजेपी से लड़ने के लिए हमें ममता बनर्जी जैसी नेता चाहिए. कांग्रेस को यह बात समझनी होगी.”

टीएमसी के बयान का जवाब देते हुए बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वे तो बीजेपी के ही एजेंट हैं. उन्होंने कहा, "टीएमसी बीजेपी की सबसे बड़ी एजेंट है. अगर वे बीजेपी के खिलाफ लड़ने में गंभीर हैं तो उन्हें कांग्रेस में मिल जाना चाहिए.”


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