Top
Begin typing your search above and press return to search.

कर्नाटक के बाद पायलट-गहलोत का मामला सुलझाएगी कांग्रेस आलाकमान

कांग्रेस आलाकमान पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मुद्दे को सुलझाने से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है

कर्नाटक के बाद पायलट-गहलोत का मामला सुलझाएगी कांग्रेस आलाकमान
X

जयपुर। कांग्रेस आलाकमान पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के मुद्दे को सुलझाने से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद के मुद्दे को सुलझाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

हालांकि, पायलट ने अपनी तीन मांगों को दोहराया है और राज्य सरकार को उनके समाधान के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है।

तीन मांगों में शामिल हैं : राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग कर एक नया संगठन बनाया जाना चाहिए, पेपर लीक के बदले बेरोजगारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए और वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

इस बीच, कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कर्नाटक के मुद्दे को हल करने के बाद आलाकमान राजस्थान का रुख करेगा और पायलट-गहलोत युद्ध को रोकने के प्रयास किए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि आने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के चुनावों के मद्देनजर गहलोत फिलहाल चुप हैं और न तो कर्नाटक या राजस्थान के मुद्दे पर बोल रहे हैं। हालांकि, वह अपनी योजनाओं को धरातल पर लागू करने और लोगों तक यह संदेश पहुंचाने में व्यस्त हैं।

पायलट द्वारा राजस्थान सरकार को भ्रष्ट कहे जाने से जहां गहलोत खेमे के कई नेता आक्रोशित हैं, वहीं पायलट की यात्रा और भाषण पर आलाकमान की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या पायलट को विधानसभा चुनाव का नेतृत्व करने का मौका दिया जाएगा, क्या पायलट कांग्रेस में रहेंगे या अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे, राजनीतिक गलियारों में इस पर सवाल उठ रहे हैं।

उनके 15 दिन के अल्टीमेटम के बाद दो दिन शांति से बीत गए, लेकिन उनकी मांगों पर किसी वरिष्ठ नेता की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

पायलट ने 11 अप्रैल को एक दिन का अनशन किया और उन्होंने 11 मई को अपनी जन संघर्ष यात्रा शुरू की। 11 जून को उनके पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है।

तो क्या वह इस दिन कोई बड़ी घोषणा करेंगे, यह सवाल कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा के कार्यकर्ता भी पूछ रहे हैं।

गहलोत और पायलट के बीच टकराव 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद शुरू हुआ था, तभी से दोनों के बीच खींचतान चल रही है। राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर पायलट अपने 19 विधायकों के साथ 2020 में हरियाणा के मानेसर चले गए थे।

अहमद पटेल जैसे दिग्गज नेता के दखल से मामला सुलझ गया। कई बार दोनों के बीच गतिरोध दूर करने के लिए प्रियंका गांधी ने बीच-बचाव भी किया।

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस साल दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों खेमों का मिलन कैसे होता है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it