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कांग्रेस हमेशा ओबीसी विरोधी रही है : जेटली

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कांग्रेस पर हमेशा 'ओबीसी-विरोधी होने का आरोप लगाया' और कहा कि कांग्रेस हमेशा अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के आरक्षण कोटे को कम करना चाहती है

कांग्रेस हमेशा ओबीसी विरोधी रही है : जेटली
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कांग्रेस पर हमेशा 'ओबीसी-विरोधी होने का आरोप लगाया' और कहा कि कांग्रेस हमेशा अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) के आरक्षण कोटे को कम करना चाहती है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस अब ज्यादा से ज्यादा विचारधारा-विहीन पार्टी बन गई है और अब केवल मोदी-विरोधी होना इसकी विचारधारा बन गई है।

अपने फेसबुक पोस्ट में जेटली ने कहा, "कांग्रेस को अचानक ओबीसी पर प्यार आ गया, जबकि यह हमेशा से ओबीसी-विरोधी रही है और इसने अवसरवादी रूप से गैर-पिछड़ों का समर्थन किया है।"

जेटली ने कहा, "ओबीसी के लिए यह अचानक प्यार क्यों? ओबीसी ने 1990 से पहले कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया था।"

उन्होंने कहा, "राजीव गांधी ने मंडल कमीशन के विरुद्ध लोकसभा में कड़ा बयान दिया था। हाल ही में, कांग्रेस पार्टी ने पिछड़े वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने का विरोध किया था। उन्होंने संसद में संवैधानिक संशोधन के खिलाफ वोट किया था।"

मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस गैर-पिछड़ों के लिए आरक्षण का समर्थन कर ओबीसी के लिए कोटा को कम करना चाहती है, जबकि वह अच्छी तरह से जानती है कि न्यायपालिका 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण की इजाजत नहीं देगी और नए दावेदारों के आने से ओबीसी कोटा कम होगा।

कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा, "पी. चिदंबरम को लगता है कि पकौड़ा तलने से नौकरी का सृजन नहीं होगा। राहुल गांधी कहते हैं कि ढाबा चलाना स्टार्टअप के लिए लांच पैड हो सकता है। वंशवाद की राजनीति में, राजनीतिक पक्ष अनुवांशिक होते हैं, लेकिन बुद्धिमत्ता नहीं होती।"

उन्होंने कहा, "जब आपको सही लगता है, आप ओबीसी का विरोध करते हो। जब अवसरवादिता की जरूरत होती है, आप उनके लिए घड़याली आंसू बहाते हो। आप पकौड़ा तल के उत्पन्न नौकरियों को बंद कर सकते हो। आप ढाबा चलाने की विशेषता का बखान कर सकते हो। नेताओं की कम जानकारी विचारधारा बन जाती है।"

जेटली ने कहा, "यह केवल उस पार्टी में हो सकता है, जो विचारधाराविहीन हो गई है। खुद को पीछे धकेलना, क्षेत्रीय पार्टियों के पिछलग्गू की तरह काम करना, यह सब इसलिए हैं, क्योंकि इनके अंदर केवल एक ही व्यक्ति नरेंद्र मोदी का डर है।"


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