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कांग्रेस ने वित्त आयोग को उप्र के विकास के लिए दिए सुझाव

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को 15वें वित्त आयोग की बैठक में राज्य के बेहतर विकास के लिये अपने सुझाव दिए

कांग्रेस ने वित्त आयोग को उप्र के विकास के लिए दिए सुझाव
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को 15वें वित्त आयोग की बैठक में राज्य के बेहतर विकास के लिये अपने सुझाव दिए।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद और प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता डा अनूप पटेल ने वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह समेत अन्य सदस्यों के साथ बैठक में प्रदेश के बेहतर आर्थिक विकास के लिये सुझाव प्रस्तुत किये। उन्होने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने केन्द्र सरकार ने यूपी को केन्द्रीय करों में से 42 प्रतिशत धनराशि देने का निर्धारण किया था लेकिन प्रदेश का शेयर घटाकर 17.95 प्रतिशत कर दिया गया। यह राज्य का भारी नुकसान था। केन्द्र के साथ प्रदेश में जिस प्रकार जीएसटी लागू किया गया उससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है।

कांग्रेस का आग्रह है कि प्रदेश के लिए अनुमन्य धनराशि का शेयर इस बार घटाया न जाए। उन्होने प्रदेश के शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, ऊर्जा, कृषि, सिंचाई, शहरी तथा ग्रामीण विकास, परिवहन तथा अनु0जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्गों के कल्याण के लिये वित्त आयोग से इन क्षेत्रों को विशेष धनराशि आवंटित किये जाने का निवेदन किया।

उन्होने कहा कि जिस तरीके से प्रदेश का राजकोषीय घाटा तय मानक 3 प्रतिशत अधिक हो गया, यह चिन्ता का विषय है। वर्तमान सरकार अपने बजट का ज्यादातर पैसा अपनी विचारधारा से ओतप्रोत योजनाओं के सिर्फ प्रचार-प्रसार पर लगा रही है जबकि केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं को लागू कराने में विफल साबित हो रही है। केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना हो या किसान सम्मान निधि योजना या किसान ऋण माफी आदि योजनाओं के लिए आवंटित मद को सरकार व्यय नहीं कर पायी है। उन्होने प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था और शिक्षा की बेहतरी तथा रोजगार सृजन पर जोर दिया।

उन्होने कहा कि एक तरफ प्रदेश सरकार दो लाख रोजगार प्रतिवर्ष देने का वादा करती है लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था से सम्बन्धित नौकरियां जैसे शिक्षा मित्र, अनुदेशक और होमगार्ड के जवानों की नौकरियां खत्म कर रही है इससे ग्रामीण स्तर पर अर्थव्यवस्था कमजोर होने से प्रदेश के आर्थिक ढांचे पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होने शहरी निकायों और पंचायत इकाइयों के और अधिक आर्थिक सशक्तिकरण पर जोर दिया।


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