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आर्थिक माहौल को लेकर रिजर्व बैंक के बुलेटिन पर कांग्रेस ने जताई चिंता

कांग्रेस ने कहा है कि आर्थिक हालात को लेकर रिज़र्व बैंक का अक्टूबर माह का बुलेटिन जिस आर्थिक माहौल को इंगित करता है वह बेहद चिंताजनक है और स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का लगातार कुप्रबंधन किया है।

आर्थिक माहौल को लेकर रिजर्व बैंक के बुलेटिन पर कांग्रेस ने जताई चिंता
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नयी दिल्ली । कांग्रेस ने कहा है कि आर्थिक हालात को लेकर रिज़र्व बैंक का अक्टूबर माह का बुलेटिन जिस आर्थिक माहौल को इंगित करता है वह बेहद चिंताजनक है और स्पष्ट करता है कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था का लगातार कुप्रबंधन किया है।

कांग्रेस संचार विभाग की प्रभारी जयराम रमेश ने बुधवार को एक बयान में कहा कि बैंक के सितंबर के बुलेटिन में कई नकारात्मक संकेत सामने आए थे। इन संकेतों में घरेलू बचत का 47 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचना, निजी क्षेत्र के लिए घरेलू ऋण में स्थिरता और श्रम-बल भागीदारी का एक ही तरह से बने रहना जैसे कई संकेत शामिल थे। बैंक के अक्टूबर के बुलेटिन देश के आर्थिक हालात के ये संकेत पहले जैसे बने हुए हैं या और भी ज़्यादा बिगड़ गए हैं।

उन्होंने कहा,“शुद्ध घरेलू बचत में कमी आने का एक प्रमुख कारण घरेलू देनदारियों में भारी बढ़ोतरी होना है। वित्त मंत्रालय ने गुमराह करने के लिए दावा किया था कि यह बढ़ोतरी गृह और वाहन ऋण के कारण है जबकि रिज़र्व बैंक ने सितंबर बुलेटिन में कहा था कि गोल्ड लोन में 23 प्रतिशत और पर्सनल लोन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। रिज़र्व बैंक का अक्टूबर का बुलेटिन इसकी पुष्टि करता है। इससे पहले अगस्त में बैंक से लिए गए कुल ऋण में सबसे ज़्यादा पर्सनल ऋण था और इसमें 23 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई थी जबकि गोल्ड लोन में 22 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है। विगत 15 माह से गैर-आवासीय पर्सनल लोन 20 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जो कम से कम 15 वर्षों में कभी नहीं हुआ।”

प्रवक्ता ने कहा कि इस अवधि में आर्थिक विकास के लिए जरूरी औद्योगिक क्षेत्र की ऋण वृद्धि भी धीमी हो रही है। अगस्त में यह केवल 6.1 प्रतिशत थी जो पहले साल की तुलना में लगभग आधी और 2013 की तुलना में सिर्फ़ एक-तिहाई है। वर्ष 2013 में गैर- खाद्य ऋण 46 प्रतिशत था जो अब 2023 में 24 प्रतिशत रह गया। महंगाई दर भी 6.8 प्रतिशत के साथ रिज़र्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से काफी ऊपर है।

उन्होंने कहा,“हर महीने जारी होने वाले रिज़र्व बैंक के बुलेटिन को मोदी सरकार के लिए एक रिमाइंडर के रूप में काम करना चाहिए कि वह चाहे जितना डेटा को छिपाने और जनता को गुमराह करने की कोशिश करे, बेसिक तथ्य झूठ नहीं बोलते हैं - अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है और अधिकांश भारतीय पीड़ित हैं।”


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