कांग्रेस ने की नरमा की विशेष गिरदावरी की मांग
किसान कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपनी तरफ से सारी लागत लगा चुके थे लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही सफेद मक्खी बीमारी ने फसल बर्बाद कर दी ।

चंडीगढ़ । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रतिपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने राज्य में सफेद मक्खी बीमारी से बर्बाद हुई नरमा की फसल की अविलंब विशेष गिरदावरी करवाकर सभी प्रभावित किसानों को कम से कम तीस हज़ार रुपए प्रति एकड़ मुआवज़ा देने की मांग की है ।
उन्होंने आज यहां जारी बयान में कहा कि किसान कपास की अच्छी पैदावार लेने के लिए अपनी तरफ से सारी लागत लगा चुके थे लेकिन फसल तैयार होने से पहले ही सफेद मक्खी बीमारी ने फसल बर्बाद कर दी । ऐसे में सरकार की ज़िम्मेदारी है कि किसान को उचित मुआवज़ा दे।
श्री हुड्डा ने कहा कि किसान देश का अन्नदाता है, जिसने कोरोना जैसी महामारी के दौर में भी देश को अन्न, सब्ज़ी और दूध की कमी महसूस नहीं होने दी। ऐसे में उसकी फसल को नुक़सान होता है तो सरकार की नैतिक ज़िम्मेदारी बनती है कि वो उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल असमय हुई ओलावृष्टि से प्रदेश के कई ज़िलों में रबी की फसल ख़राब हो गई थी। उसका मुआवज़ा भी किसानों को अब तक नहीं मिला है। मुआवज़ा बांटने का काम अधिकारियों की लापरवाही के चलते लंबे समय से अटका हुआ है। सरकार को इसके लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और किसानों को जल्दी राहत पहुंचानी चाहिए। कभी बीमारी, कभी टिड्डी दल तो कभी बेमौसमी बारिश व ओलावृष्टि लगातार किसानों की फसलों को बर्बाद कर रहे हैं लेकिन उन्हें मुआवज़े के नाम पर सिर्फ लंबा इंतज़ार ही मिलता है।
उन्होंने कहा कि किसान कंगाल हो रहे हैं और सरकार प्राइवेट बीमा कंपनियों को मालामाल करने में लगी है। यही वजह है कि बढ़ती खेती लागत और महंगाई के बावजूद प्रधानमंत्री फसल बीमा की प्रीमियम राशि में भी वृद्धि कर दी गई। सरकारी नीतियों और रवैये की चौतरफा मार किसान पर पड़ रही है। रही सही कसर केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि अध्यादेशों ने पूरी कर दी। यदि ये अध्यादेश बिना न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू होते हैं तो किसान अपनी ही ज़मीन पर एक नौकर बनकर रह जायेगा और बड़ी-बड़ी कंपनियां उसे अपना मोहताज बना लेंगी।


