ओछी राजनीति की सारी हदें पार कर रही कांग्रेस: सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज ने इराक में आईएसआईएस के आतंकवादियों के हाथों मारे गए 39 भारतीय नागरिकों के बारे लोकसभा में आज उन्हें बोलने नहीं देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इराक में आईएसआईएस के आतंकवादियों के हाथों मारे गए 39 भारतीय नागरिकों के बारे लोकसभा में आज उन्हें बोलने नहीं देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उसने ओछी राजनीति की सारी हदें पार कर दीं।
स्वराज ने यहां विदेश मंत्रालय में इस बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए बुलाये गए संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्यसभा में जब सभी दलों के नेताओं ने बहुत शालीनता से उनकी बात सुनी तो उन्हें लगा कि लोकसभा में भी ऐसा होगा।
लोकसभा में अन्य दलों के नेताओं ने उनके वक्तव्य के दौरान शांत रहने का अाश्वासन दिया था लेकिन आज कांग्रेस ने बिना बात के हंगामा किया और एक मानवीय पहलू की चार साल के घटनाक्रम का जब पटाक्षेप होने वाला था तो उसने ओछी राजनीति की सभी हदें पार कर दीं।
उन्होंने कहा कि राज्यसभा में उनके बयान को शांतिपूर्ण ढंग से सुने जाने से शायद लोकसभा में कांग्रेस के नेता बौखला गये थे और उन्होंने तय कर लिया था कि वे उन्हें बोलने नहीं देंगे। इसका बीड़ा ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया था। विदेश मंत्री ने कहा कि वह बार-बार कह रहीं थीं कि वह एक अशुभ समाचार देना चाहतीं हैं और उस बारे में सदन में कांग्रेस ही विस्तृत चर्चा की मांग करती रही है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या कांग्रेस मौत पर भी राजनीति करेगी। आखिर कौन सी वजह थी जिससे सदन को यह समाचार सुनने से बाधित किया गया।
विदेश मंत्री ने कहा कि दरअसल कल शाम को 38 भारतीयों के डीएनए मिलान और इस बारे में इराक के मार्टियर्स फाउंडेशन की आज अपराह्न ढाई बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन की सूचना मिली तो उन्होंने उससे पहले स्वयं ही संसद और देश को जानकारी देने का फैसला किया था लेकिन कांग्रेस ने इतनी बड़ी घटना पर ऐसा गैर जिम्मेदाराना रुख अपनाया। खुद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कांग्रेस के सदस्यों के व्यवहार पर दुख जताते हुए उनसे कहा था कि क्या उनकी संवेदनशीलता समाप्त हो गयी है।
यह पूछे जाने पर कि मुख्य विपक्षी दल इससे पहले दशकों तक शासन में रहा है, क्या कांग्रेस के नेताओं ने इस मसले पर कभी सरकार को सहायता की पेशकश नहीं की, विदेश मंत्री ने कहा कि उनका ऐसा रुख कभी नहीं रहा, वे तो सरकार पर सच छिपाने का आरोप-प्रत्यारोप करते रहे जबकि उन्होंने हर बार साफ- साफ कहा जिम्मेदार सरकार होने के नाते जब तक मोसुल में अपहृत भारतीयों की मृत्यु के स्पष्ट सबूत नहीं मिलते, वह उन्हें मृत घोषित नहीं करेंगी।
स्वराज ने परिजनों के आरोपाें का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले में कभी भी अपने रुख में कोई बदलाव नहीं किया और न ही किसी को अंधेरे में रखा। उन्होंने नवंबर 2014 और जुलाई 2017 में संसद में दिए गए बयानों का हवाला देते हुए कहा कि उनका मानना है कि बिना ठोस सबूत किसी को मृत घोषित करके उसकी फाइल बंद कर देना पाप है और वह यह पाप कदापि नहीं करेंगी।
एक सवाल के जवाब में स्वराज ने कहा कि 39 भारतीयों की मौत की पुष्टि होने पर उन्होंने मृतकों के परिजनों से पहले संसद को जानकारी दी है।


