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मप्र में कांग्रेस-भाजपा ने बंद कमरों में बनाई अगली रणनीति

मध्यप्रदेश में गुरुवार का दिन चोट खाए विपक्ष और सत्ताधारी कांग्रेस ने अगली रणनीति बनाने मेगुजारा। दोनों ही पार्टियां बंद कमरों में अगले दांव से एक-दूसरे को चित करने के लिए मंथन में मशगूल रहे

मप्र में कांग्रेस-भाजपा ने बंद कमरों में बनाई अगली रणनीति
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भोपाल। मध्यप्रदेश में गुरुवार का दिन चोट खाए विपक्ष और सत्ताधारी कांग्रेस ने अगली रणनीति बनाने मेगुजारा। दोनों ही पार्टियां बंद कमरों में अगले दांव से एक-दूसरे को चित करने के लिए मंथन में मशगूल रहे। नेताओं की बैठकों का दौर चला। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां चेहरे पर आई शिकन को छुपाने की कोशिश की, वहीं कांग्रेस ने अपना उत्साह दिखाने में परहेज किया। राज्य की सियासत का मिजाज बदलने लगा है, भाजपा जहां कांग्रेस पर खुलेतौर पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगा रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से गोवा और कर्नाटक का जिक्र किया जा रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि राज्य में दोनों दलों के मुखिया भाजपा के राकेश सिंह और कांग्रेस के कमलनाथ किसी तरह का हमला करते नजर नहीं आ रहे।

राजधानी के भाजपा कार्यालय में पूरे दिन गहमा-गहमी रही। संगठन के पदाधिकारियों के अलावा प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और नरोत्तम मिश्रा का अधिकांश समय विचार-विमर्श के बीच बीता। पार्टी आगे किस तरह से बढ़े इस पर सभी नेताओं ने अपनी अपनी राय रखी। साथ ही उन दो विधायकों- नारायण त्रिपाठी व शरद कोल पर पार्टी का क्या रुख हो, इस पर भी चर्चा हुई। पार्टी फिलहाल जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहती।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने सरकार के भविष्य पर फिर सवाल उठाए हैं और कहा, "मध्यप्रदेश में कर्नाटक से बुरा हाल है, वहां दो दलों का अनैतिक गठबंधन था, मगर यहां तो स्थिति उससे भी बदतर है, क्योंकि बसपा, सपा, निर्दलीय विधायक कोई सैद्धांतिक आधार पर समर्थन नहीं दे रहे हैं, बल्कि स्वार्थो की पूर्ति के लिए दे रहे हैं। जिस दिन स्वार्थ पूरे नहीं हुए, उस दिन गठबंधन टूट जाएगा और सरकार गिर जाएगी। इस सरकार का सात माह चलना भी बहुत बड़ी घटना है।"

एक तरफ जहां भाजपा के नेता रणनीति बनाने में लगे रहे तो दूसरी ओर कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं रही। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूरे दिन मंत्रियों से अलग-अलग चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विधायकों में किसी तरह की नाराजगी न होने दें। मंत्रियों पर पहले से तीन से चार विधायकों से लगातार संपर्क में रहने और उनकी मांगों को पूरा के निर्देश दिए जा चुके हैं।

कमलनाथ की ओर से गुरुवार को बुधवार के घटनाक्रम पर कोई बयान नहीं आया। उन्होंने राज्य के विकास को लेकर ट्वीट किया, "हम प्रदेश को विकास की दृष्टि से देश में शीर्ष पर ले जाना चाहते हैं। हम प्रदेश के विकास का एक नया नक्शा बनाना चाहते हैं। प्रदेश हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, हम प्रदेश को दलगत राजनीति में बांटना नहीं चाहते।"

कमलनाथ ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "हम विपक्ष से भी शुरू से यही अपेक्षा कर रहे हैं कि वो सकारात्मक राजनीति करते हुए प्रदेश के विकास में हमें सहयोग करें, हमें जनादेश मिला है। विपक्ष उसका सम्मान करे। हम अभी भी विपक्ष से प्रदेश हित में, प्रदेश के विकास के लिए सहयोग की उम्मीद व अपेक्षा करते हैं।"

राजनीति के जानकारों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में राज्य की सियासत में उठापटक का दौर जारी रहेगा और दोनों ही दल एक-दूसरे को कमजोर करने में नहीं चूकेंगे।


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