कांग्रेस, भाजपा और आप की रणनीति की परीक्षा कल, हर दांव खेल गए नेता
दिल्ली के तीनों नगर निगमों के लिए चुनाव प्रचार अब थम चुका है

पारे के साथ चढ़ता गया चुनाव...
कांग्रेस खोयी जमीन की नींव रखने को आतुर, एक अदद जीत को तरस रही है आप
भाजपा को सर्वे में बढ़त के बाद जमीन पर मिल रहे समर्थन से उम्मीद
नई दिल्ली। दिल्ली के तीनों नगर निगमों के लिए चुनाव प्रचार थम चुका है और प्रचार के आखिरी केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, गायक व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के अलावा कई सांसद व मशहूर हस्तियों ने दिल्ली में चिलचिलाती धूप में भाजपा के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
दिल्ली नगर निगम का यह चुनाव जितना भाजपा के लिए महत्तवपूर्ण है उतना ही आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए महत्तव रखता है। पंजाब, गोवा और राजौरी गार्डन में करारी हार के बाद “आप” एक जीत तलाश रही है तो कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले खड़े होने के प्रयास में है। भाजपा उत्तर प्रदेश में विजय के बाद निगम को अपने पास रखकर दिल्ली विधानसभा में जीत की नींव रखना चाहती है।
आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और कपिल मिश्रा ने यहां निगम चुनाव में मोर्चा तो संभाला लेकिन जनसभाओं में भीड़ के कम जुटने व जनता के बीच रोष को देखते हुए पूरे प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी का करिश्मा नहीं खड़ा कर सकी जो उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान किया था।
केजरीवाल ने हाउस टैक्स माफ, अजय माकन के भाजपा में जाने व भाजपा के निगम में आने पर बिजली-पानी सब्सिडी समाप्ति सहित कई आरोप लगाए, लेकिन जनता से उन्हें वह समर्थन नदारद दिखा जो 2015 में नजर आता था।
कांग्रेस शुरू में तो त्रिकोणीय मुकाबले में दिखी, अजय माकन, राजबब्बर प्रचार में जुटे भी रहे लेकिन धीरे-धीरे हालात बदलते गए और जब पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली, युकां अध्यक्ष अमित मलिक ने भाजपा का दामन थामा और बरखा शुक्ला सिंह का विवाद बढ़ा तो कांग्रेसी उम्मीदवारों के चेहरे उतर गए।
हां, भाजपा ने दिल्ली में रह रहे पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड आदि) में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए भोजपुरी गायक और सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली का अध्यक्ष बनाने से शुरू की तैयारियों को बिना आक्रमकता के अंजाम दिया।
अमित शाह ने अपने विश्वासपात्र केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, निर्मला सीतारमण और संजीव बालियान को दिल्ली चुनाव की बागड़ोर सौंपी तो कुछ ही दिनों में पार्टी उपाध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे को श्याम जाजू के साथ दिल्ली का प्रभारी बना दिया। कई केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा शासित राज्यों के नौ मुख्यमंत्रियों को दिल्ली चुनाव में लगाना तय किया गया था, लेकिन लगातार गर्मी बढ़ने से सभा आयोजन कठिन हो गया तो पार्टी प्रमुख के आदेश के पालन में वेंकैया नायडू, रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह आदि बड़े नेताओं ने छोटी-छोटी सभाओं को संबोधित किया।
मनोज तिवारी के अलावा हेमा मालिनी, रवि किशन, परेश रावल जैसे लोकप्रिय कलाकारों ने रोड शो किए। दिल्ली नगर निगम चुनाव में मौजूदा पार्षदों ने बेशक दूरी बना कर रखी तो वहीं उनके साथ जुड़े संगठन के लोग भी दूर रहे जबकि पहली बार चुनाव में उतरे नेता सड़कों पर पसीना बहा रहे हैं।
पार्टी ने सर्वे में बढ़त को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम अंतिम समय में रद्द कर दिए गए और बाकी मुख्यमंत्रियों के कार्यक्रम भी यह कह कर रद्द कर दिया गया कि इसकी जरूरत नहीं है।
भाजपा के सूत्रों ने बताया कि जितने समय योगी दिल्ली चुनाव प्रचार में रहेंगे उतनी देर मीडिया योगी-योगी करती रहेगी। बाद में जीत का सेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से अधिक योगी आदित्यनाथ के सिर बांध दिया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषक भी कहते कि भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका योगी की है जबकि चुनाव की पूरी रणनीति अमित शाह ने बनाई। वे लगातार उसकी कमान भी संभाले रहे व 3300 छोटी बड़ी सभाएं, रोड शो आयोजित किए। चुनाव अभियान की खुद शुरुआत की और उनको करीब से जानने वाले मानते हैं कि वे प्रधानमंत्री के अलावा किसी और को जीत का श्रेय आसानी से नहीं देंगे। हां, इस बार लड़ाई में स्वराज इंडिया के जरिए आप के पूर्व नेता योगेंद्र यादव व प्रशांत भूषण भी हैं और उन्होंने भी आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।


