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कांग्रेस व सीपीआई (एम) साथ मिलकर करेंगे बीजेपी की मुखालफत

सीपीआई (एम) और कांग्रेस इस बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ने की बजाय एक साथ मिलकर त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मुखालफत करेंगे।

कांग्रेस व सीपीआई (एम) साथ मिलकर करेंगे बीजेपी की मुखालफत
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नई दिल्ली, 14 जनवरी: सीपीआई (एम) और कांग्रेस इस बार एक दूसरे के खिलाफ लड़ने की बजाय एक साथ मिलकर त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की मुखालफत करेंगे। पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में चुनाव से तीन महीने पहले कांग्रेस और सीपीआई (एम) मिलकर भाजपा को सत्ता से हटाने के तैयारियां शुरू कर दी है। दोनों पार्टियां आगामी चुनावों के मद्देनजर एक साथ आ गई हैं।

कांग्रेस महासचिव अजय कुमार और सीपीआई (एम) राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी की शुक्रवार शाम बैठक हुई बैठक में ये निर्णय लिया गया। बैठक के बाद दोनों पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के फैसले की घोषणा कर दी है।

कांग्रेस पूर्वोत्तर अजय कुमार ने कहा, ''प्रदेश कांग्रेस की टीम ने रणनीति बनाने और सीट शेयरिंग को लेकर सीपीआई(एम) राज्य सचिव के साथ बैठक की। हम विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ेंगे।''

वहीं मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस और तिपरा मोथा के साथ समझौता किया है। बीजेपी पिछले पांच सालों से संविधान पर हमला कर रही है। ऐसे में सीटों की संख्या नहीं, बल्कि बीजेपी को हराना मायने रखता है।

उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य कार्य लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए बीजेपी विरोधी वोट को एकजुट करने के लिए एक रणनीतिक गठबंधन को तैयार करना है। बीजेपी की ओर से पेश की गई चुनौतियों का सामना करने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों की अधिकतम गोलबंदी के प्रयास किए जा रहे हैं।

येचुरी ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले राजनीतिक लाभ के लिए देश में ध्रुवीकरण को लेकर नफरत फैलाने के अभियान की साजिश रची जा रही है, इस लिए पार्टी ने ये निर्णय लिया है।

उम्मीद लगाई जा रही है कि मार्च में त्रिपुरा में चुनाव हो सकते हैं। इस लिए दोनों पार्टियों ने मिलकर सीट शेयरिंग पर चर्चा शुरू कर दी है। इससे पहले के चुनाव में कांग्रेस सत्ताधारी सीपीआई(एम) के विपक्ष तौर पर मैदान में उतरती रही है।

खासबात ये है कि सीपीआई(एम) लगातार 25 सालों तक त्रिपुरा में सत्ता में रही थी, लेकिन 2018 में बीजेपी ने उसे मात दे दी। त्रिपुरा में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 20 सीटें आदिवासी बहुल इलाकों में हैं।


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