एसएनसी लवलीन मामले में कांग्रेस और माकपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को एसएनसी लवलीन मामले में आरोपी बनाने के लिए अपना पक्ष रखने के बाद उनकी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा

तिरुवनंतपुरम। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन को एसएनसी लवलीन मामले में आरोपी बनाने के लिए अपना पक्ष रखने के बाद उनकी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने रविवार को भी कहा कि वह निर्दोष हैं, जबकि विजयन इस मामले में अभी चुप्पी साधे हुए हैं।
वर्ष 1997 में जब पिनरई विजयन केरल के ऊर्जा मंत्री थे तब इडुक्की जिले में पल्लीवसई, सेंगुलम और पन्नीर पनबिजली परियोजनाओं के उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए कनाडा की एक कंपनी एसएनसी लवलीन से करार किया गया था, जिसमें सरकार को कथित रूप से 266 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
माकपा के प्रदेश सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि यह (घटनाक्रम) कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की करतूत के अलावा और कुछ नहीं है।
बालाकृष्णन ने कहा, "इन दोनों दलों ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इसे मुद्दा बनाने के लिए दोबारा उठा दिया है। विजयन निर्दोष हैं। जैसे केरल उच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष घोषित किया, वैसे ही सर्वोच्च न्यायालय में भी वह निर्दोष साबित होंगे।"
सीबीआई ने शनिवार को हलफनामा दाखिल कर विजयन और दो अन्य के निर्दोष साबित होने पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय का आदेश सही नहीं है।
उच्च न्यायालय ने 23 अगस्त, 2017 को इस मामले में अपने फैसले में विजयन, ऊर्जा विभाग के पूर्व मुख्य सचिव के. मोहनचंद्रन और विभाग के तत्कालीन संयुक्त सचिव ए. फ्रांसिस को आरोपमुक्त कर दिया था। लेकिन सीबीआई ने इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अन्य तीन आरोपियों पर सुनवाई जारी रखने का निर्देश दिया था। ये तीनों केरल राज्य विद्युत बोर्ड के अधिकारी हैं।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एम.एम. हसन ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि 2006 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने इस मामले को सबसे बड़े घोटालों में गिनते हुए इसे सीबीआई को सौंप दिया था।


