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राफेल मामले पर कांग्रेस-भाजपा में घमासान जारी

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति की ओर से राफेल सौदे पर दिए गए बयान के बाद भारत में राफेल पर छिड़ी राजनीतिक जंग और तेज होती जा रही है

राफेल मामले पर कांग्रेस-भाजपा में घमासान जारी
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नई दिल्ली। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति की ओर से राफेल सौदे पर दिए गए बयान के बाद भारत में राफेल पर छिड़ी राजनीतिक जंग और तेज होती जा रही है। सरकार की तरफ से वित्तमंत्री अरुण जेटली रविवार को सरकार का बचाव करने उतरे और राफेल सौदे में ऑफसेट साझेदार को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के खुलासे को खारिज कर दिया। इसपर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक उद्योगपति को नए सौदे की जानकारी देकर गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन किया है, जो बाद में एचएएल के स्थान पर ऑफसेट साझेदार बन गया। इसके साथ ही पार्टी ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए लिए हुए अंतरसरकारी सौदे की संयुक्त संसदीय समिति(जेपीसी)से जांच कराने की मांग दोहराई।

राहुल और कांग्रेस की ओर से राफेल मामले पर मोदी पर जबरदस्त हमला बोलने के एक दिन बाद, जेटली ने सोशल मीडिया पर फिर से अपने दावे दोहराए और ओलांद की विरोधाभाषी टिप्पणी का जिक्र किया।

जेटली ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा, "ओलांद की टिप्पणी के आधार पर विवाद खड़ा किया जा रहा है कि दसॉ एविएशन के साथ रिलायंस डिफेंस की साझेदारी भारत सरकार के कहने पर की गई।"

उन्होंने एक फ्रेंच वेबसाइट से किए गए ओलांद के उस दावे का जिक्र किया, जिसमें ओलांद ने कहा था कि दसॉ एविएशन ने रिलायंस डिफेस की साझेदारी भारत सरकार के कहने पर की। जेटली ने उसके बाद समाचार एजेंसी एएफपी को दिए ओलांद के बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि रिलायंस डिफेंस के लिए भारत सरकार ने वकालत की या नहीं। जेटली ने ओलांद के इन दोनों बयानों पर कहा, "झूठ के दो रूप नहीं हो सकते।"

जेटली ने कहा, "किसी के द्वारा दिए गए बयानों पर सवाल उठाए जा सकते हैं, लेकिन परिस्थितियां कभी झूठ नहीं बोलतीं।"

जेटली ने कहा, "कनाडा के मॉन्ट्रियल में एएफपी को दिया उनका (ओलांद) का दूसरा बयान उनके पहले बयान पर सवाल उठाता है।"

जेटली ने यह भी कहा कि फ्रांस सरकार और दसॉ एविएशन (राफेल जेट की निर्माता) ने ओलांद की पहली टिप्पणी से साफ किनारा कर लिया।

वित्तमंत्री ने दावा किया कि यह दो देशों की सरकार के बीच का समझौता है। उन्होंने कहा, "किसी के द्वारा यह कहना गलत है कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति को लेकर साझेदारी की गई।"

जेटली ने साझेदारी को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के दावे को खारिज करते हुए राहुल गांधी के 30 अप्रैल के एक ट्वीट और ओलांद के बयान के बीच संबंध स्थापित करने की कोशिश की, जिसमें राहुल ने कहा है, "यह (राफेल) अगले कुछ सप्ताहों में कुछ बड़े बंकर बस्टर बम भी गिराने जा रहा है।"

जेटली ने कहा, "फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति का पहले बयान का तुक राहुल के अनुमान से मेल खाता है।" उन्होंने कहा कि यह कोई संयोग भर नहीं है।

इसपर राहुल ने अपने जवाब में कहा, "जेटली की यह खासियत है कि झूठ का ताना-बाना बुनते हैं, और बचाव नहीं की जा सकने वाली बातों का बचाव करते हैं।"

राहुल गांधी ने ट्विटर के जरिए कहा, "वह (जेटली), आरएम (रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण) और हमारे प्रधानमंत्री अब झूठ बोलना बंद करें और राफेल घोटाले का पूरा सच सामने लाने के लिए जेपीसी से जांच करवाएं।"

जेटली के बयान के बाद कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने प्रधानमंत्री के ऊपर लगे आरोपों का उनसे जवाब मांगा।

शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन में मोदी के अप्रैल 2015 में 126 विमानों के बदले 36 विमानों को खरीदने के अंतरसरकारी सौदे की घोषणा के मद्देनजर कहा, "प्रधानमंत्री से सवाल यह है कि कैसे यह सूचना बाहर आई कि वह फ्रांस जाएंगे और सौदा बदलेंगे?"

उन्होंने कहा, "तब के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने कहा था कि मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान राफेल सौदा सरकार के एजेंडे में नहीं था। नए सौदे की घोषणा के बारे में कोई नहीं जानता था। यहां तक कि सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति, भारतीय वायुसेना, मंत्रिमंडल और विदेश सचिव को भी इस निर्णय की जानकारी नहीं थी।"

शर्मा ने कहा, "सीधा आरोप प्रधानमंत्री के खिलाफ है कि उन्होंने गोपनीयता की अपनी शपथ का उल्लंघन किया। उनके अलावा किसी ने भी निजी कंपनी को यह जानकारी नहीं दी होगी कि वह सौदे को बदलने वाले हैं।"

कांग्रेस नेता ने कहा, "यह साजिश है। केवल एक व्यक्ति को सौदे की जानकारी थी। बिना मंत्रिमंडल को बताए, बिना राजदूत को बताए उन्होंने उद्योगपति को सौदे की जानकारी दे दी और उनसे नई कंपनी बनाने को कहा।"


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