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राजस्थान में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस और भाजपा

राजस्थान के अलवर में लोकसभा के होने वाले चुनावों में अब कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उम्मीदवारी को लेकर कवायद शुरू हो गई है

राजस्थान में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस और भाजपा
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अलवर। राजस्थान के अलवर में लोकसभा के होने वाले चुनावों में अब कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उम्मीदवारी को लेकर कवायद शुरू हो गई है।

हालांकि दोनों दलों में उम्मीदवारों के नामों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन दोनों दलों ने अपने उम्मीदवारों के नाम लगभग तय कर लिए हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जितेंद्र सिंह चुनाव लड़ेंगे। कुछ दिन पहले जिला कांग्रेस कमेटी की हुई बैठक में सर्वसम्मति से जितेंद्र सिंह के नाम का प्रस्ताव पारित करके नाम तय किया गया,

लेकिन उनकी राह में बड़ी बाधा वर्तमान सांसद डॉ करण सिंह बताये जा रहे हैं जिनका टिकट काटने की कोई तार्किक वजह नहीं है। अलवर में हुए लोकसभा उपचुनाव में जितेंद्र सिंह ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया और करण सिंह का समर्थन किया था। वह इस चुनाव में करीब तीन लाख वोटों से जीते थे।

वर्ष 2014 के चुनाव में श्री जितेंद्र सिंह भाजपा के महंत चांदनाथ से करीब तीन लाख से अधिक मतों से हार चुके हैं। लिहाजा वह अपना दावा मजबूती से नहीं रख पा रहे हैं। पूछने पर बस यही कहते हैं कि पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ूंगा। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की राजस्थान में सरकार है ऐसे में जितेंद्र सिंह राज्यसभा के रास्ते केंद्र में पहुंचना चाहते हैं और लोकसभा चुनाव में वर्तमान सांसद करण सिंह को ही टिकिट दिलवाना चाहते हैं जबकि कांग्रेस के स्थानीय नेता जितेंद्र सिंह का ही समर्थन कर रहे हैं।

कांग्रेस यादव वोटों को भी नाराज नहीं करना चाहती है। अगर करण सिंह का टिकिट कटता है तो एक बड़े वोट बैंक में नाराजगी का कारण बन सकता है। वैसे वर्तमान सांसद डॉ करण सिंह को गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने किशनगढ़ बास विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह चुनाव हार गये और तीसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस के बागी होकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार बने दीप चंद खेरिया ने चुनाव जीता। इससे उनकी स्थिति कमजोर हो गई। यही वजह है कि मौजूदा सांसद होने के बावजूद उनकी उम्मीदवारी पर संशय बना हुआ है।

उधर कांग्रेस के लिये इस क्षेत्र में भरतपुर जिले के नगर विधानसभा से बसपा टिकिट पर चुनाव जीते वाजिब अली ने अलवर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर की है। अगर श्री वाजिब अली चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को एक बड़े वोट बैंक का नुकसान होने की संभावना है और अलवर में बड़ी तादाद में मेव और अनुसूचति जाति (एससी) के मतदाता हैं जिन्हें कांग्रेस का परम्परागत समर्थक माना जाता है। उनके बसपा की तरफ जाने की आशंका है।

अलवर लोकसभा क्षेत्र में करीब 25 लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब साठ प्रतिश यादव, ब्राह्मण, एससी और मेव हैं।

उधर भाजपा में भी दावेदार बहुत हैं। पूर्व सांसद महंत चांद नाथ के निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी के रूप में महन्त बालक नाथ ने ताल ठोक रखी है और वह अब भाजपा के कार्यक्रमों में भी दिखाई देने लगे हैं, लेकिन अलवर भाजपा अब आमजन के साथ रहने वाला उम्मीदवार चाहती है।

अभी कुछ दिन पहले अलवर रायशुमारी करने आये भाजपा के राजस्थान के प्रभारी केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर के सामने अलवर भाजपा ने बाहरी उम्मीदवार का विरोध करते हुए कहा कि अगर बाहरी उम्मीदवार थोपा गया तो बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ेगा।

वर्तमान समय मे भाजपा को सीट जीतना जरूरी है। अलवर से बालक नाथ के अलावा पूर्व सांसद डॉ जसवंत सिंह यादव एवं उनकी पत्नी किरण यादव का नाम प्रमुखता से माना जा रहा है। अलवर भाजपा के बड़े नेताओं का कहना है कि राजस्थान में मिशन 25 के लिए टिकिट देने में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं की जाए।


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