कांग्रेस का आरोप, आठ विधायक भाजपा के कब्जे में
प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने यहां यूनीवार्ता से चर्चा में उम्मीद जताते हुए कहा कि शेष चार विधायक भी वापस आ जाएंगे।

भोपाल। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर 'हॉर्स ट्रेडिंग' के आरोपों के दो दिनों के अंदर आज यहां कांग्रेस ने दावा करते हुए कहा कि भाजपा के कब्जे में दिल्ली में मध्यप्रदेश के लगभग आठ विधायक थे, जिनमें से चार वापस आ गए।
प्रदेश कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने यहां यूनीवार्ता से चर्चा में उम्मीद जताते हुए कहा कि शेष चार विधायक भी वापस आ जाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा के विधायकों के खरीद फरोख्त के प्रयासों के बावजूद राज्य की कांग्रेस सरकार को कोई खतरा नहीं है।
इस बीच बताया गया है कि बसपा की श्रीमती रामबाई और संजीव कुशवाह के अलावा कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह, हरदीप सिंह और ऐदल सिंह कंसाना और निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा को मध्यप्रदेश के बाहर ले जाया गया है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि भाजपा नेता उन्हें दो तीन दिनों में दिल्ली ले गए हैं। कुछ और विधायकों को भाजपा नेता प्रलोभन दे रहे हैं।
इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने आज यहां मीडिया से चर्चा में कहा कि कांग्रेस के आरोप असत्य हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य की कांग्रेस सरकार को गिराना नहीं चाहती है। लेकिन उनके नेताओं के बीच ही अंतर्विरोध हैं। उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि भाजपा कांग्रेस और कुछ अन्य दलों के विधायकों को प्रलोभन दे रही है।
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह दिल्ली में ही हैं। कल देर शाम राज्य के मंत्री जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह और सुरेंद्र सिंह हनी दिल्ली पहुंचे और वे सभी कथित तौर पर दिल्ली में मौजूद कांग्रेस, बसपा और निर्दलीय विधायकों से संपर्क करने का प्रयास करते रहे। श्री पटवारी दिल्ली में मीडिया से चर्चा में कहते हुए सुने गए कि भाजपा नेताओं ने इन विधायकों को बंधक बना रखा है। इनको पैसे दिए गए हैं। चार विधायक हमारे पास आ गए हैं और शेष विधायक भी वापस आ जाएंगे। कुछ विधायकों के बंगलूर भी ले जाने की सूचनाएं हैं।
कल देर शाम पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान भी अचानक दिल्ली पहुंचे और वे भी अभी दिल्ली में बने हुए हैं। तीन चार पूर्व मंत्री भी भाजपा की तरफ से दिल्ली में बने हुए हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ राजधानी भोपाल में अपने निवास से पूरे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। उनके साथ प्रदेश कांग्रेस के कुछ विश्वस्त पदाधिकारी भी मौजूद हैं। माना जा रहा है कि श्री कमलनाथ की ओर से इस संबंध में दिन में मीडिया के समक्ष बयान आ सकता है।
दरअसल लगभग चौदह माह पुरानी कमलनाथ सरकार इन दिनों राज्य विधानसभा के बजट सत्र की तैयारियों में भी जुटी है, जो मार्च माह के तीसरे सप्ताह से प्रारंभ होगा। इसी दौरान मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटों के लिए इसी माह में निर्वाचन है। दिसंबर 2018 में विधानसभा चुनाव में पंद्रह वर्षों के बाद कांग्रेस सत्ता में आयी और मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ ने शपथ ली थी। बसपा, सपा और निर्दलीय समेत कुल सात विधायकों ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया है और कांग्रेस के 114 विधायक थे। वहीं चुनाव में भाजपा को 109 सीट मिली थीं। दो सौ तीस सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में आगर और जौरा सीट रिक्त हैं।
दो दिन पहले दिल्ली में श्री दिग्विजय सिंह ने मीडिया के समक्ष आरोप लगाया था कि भाजपा राज्य के कांग्रेस विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए 25 से 35 - 35 करोड़ रुपए तक ऑफर कर रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि वे बगैर प्रमाण के कोई बात नहीं करते हैं। उनके बयान के बाद राजनीति अचानक गर्मा गयी और कल रात प्रदेश से भाजपा और कांग्रेस के अनेक नेता दिल्ली पहुंच गए। इस मुद्दे को लेकर दोनों दलों की ओर से बयानबाजियां भी हो रही हैं।


