तपस्वियों का अभिनंदन
दिगम्बर जैन मंदिर में बीजमंत्र के उपचारण के पश्चात श्रीजी को जलाभिषेक करने के लिए विराजमान किया गया

नवापारा-राजिम। दिगम्बर जैन मंदिर में बीजमंत्र के उपचारण के पश्चात श्रीजी को जलाभिषेक करने के लिए विराजमान किया गया। ब्रम्हचारी अमित भैया ने समस्त जनों की उपस्थिति में जलाभिषेक आरंभ की सर्वप्रथम षांतिधारा करने का लाभ मनोज अनिल जयकुमार जैन एवं प्रमोद आषीष जैन परिवार को मिला। वहीं रात्रि में श्रीपार्ष्वनाथ जैन मंदिर बसस्टैंड में भव्य झांझ मंजीरे से भक्तिगीत प्रस्तुत की गई जिसमें महिलाओं व पुरूषों ने मिलकर सामुहिक भक्ति नृत्य, डांडिया प्रस्तुत किया गया।
महिलाओं के द्वारा आरती सजाओ प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिमसें प्रथम रष्मि चौधरी, द्वितीय प्रियंका जैन, तृतीय षिल्पी सिंघई सात्वना पुरूस्कार निकिता जैन, श्रृष्टि जैन, सुमन सिंघई, कविता सिंघई, पीहु जैन, षौर्य जैन को ब्रम्हचारी अमित भैया ने पुरस्कृत किया।
महिलाओं द्वारा विभिन्न प्रकार की डिजाईनों में प्रस्तुत किया जिसे सभी भक्तजनों ने सहराया। ब्रम्हचारी अमित भैया ने प्रवचन में कहा कि व्रत विचित्र इंद्रियरूपी वन में दौड़ने वाले मन को आकुंचित नियंत्रीय करता हैं, देह से स्नेह को छोड़ना व्रत है और जो भव सुख से विरक्त होना. परिग्रह जितना कम करें और उसके प्रति चिंता मोह त्यागना धर्म के अंतर्गत आता हैं। वैभव को छोड़ना यह धर्म बताता हैं।
इस धर्म के प्रभाव से अपने स्वभाव को प्राप्त करके तीर्थकारों ने शिवनगर को प्राप्त कर लिया हैं. इसी धर्म के कम विकार से रहित हुए ऋषि गण सदा वंदनिय हैं। रात्रि में ब्रम्हचारी अमित ने त्याग के विषय पर बताया कि आप के नजर में आठ लोगों के द्वारा दसलक्षण व्रत निर्जला उपवास समाज के भक्तजनों द्वारा 10 उपवास की तपस्या में विमल सिंघई, लता सिंघई, मुकेष पाटनी, मेहुल जैन, कामनी चौधरी, संगीता सिंघई, सिवानी जैन कर रहे हैं। उनका दसवां दिन पूर्ण होगा।


