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मप्र में अब 'फ्लोर टेस्ट' पर संग्राम

मध्य प्रदेश में जारी सियासी खींचतान के बीच बात फ्लोर टेस्ट पर आकर ठहर गई है। देानों दल इस बात पर सहमत हैं कि फ्लोर टेस्ट हो मगर दोनों की अपनी शर्त है

मप्र में अब फ्लोर टेस्ट पर संग्राम
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भोपाल। मध्य प्रदेश में जारी सियासी खींचतान के बीच बात फ्लोर टेस्ट पर आकर ठहर गई है। देानों दल इस बात पर सहमत हैं कि फ्लोर टेस्ट हो मगर दोनों की अपनी शर्त है। भाजपा चाहती है कि राज्यपाल के अभिभाषण और बजट सत्र से पहले हो, वहीं सत्ताधारी कांग्रेस अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट की पक्षधर है।

राज्य में बीते एक सप्ताह से सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के प्रदेश से बाहर आने और जाने का सिलसिला जारी है। भाजपा के विधायक जहां दिल्ली के नजदीक एक रिसॉर्ट में हैं तो कांग्रेस के विधायक जयपुर में हैं। वहीं कांग्रेस के बागी और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक बेंगलुरु में हैं। 22 विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे चुके है, इनमें से छह विधायकों के इस्तीफे विधानसभाध्यक्ष एन पी प्रजापति ने मंजूर कर लिए हैं।

राज्य विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से शुरु हो रहा है। परंपरा के अनुसार बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से होती है। भाजपा ने वर्तमान सरकार के अल्पमत में होने का आरोप लगाया है। भाजपा के नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, भूपेंद्र सिंह व रामपाल सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार को अल्पमत की सरकार बताया। साथ ही कहा कि वर्तमान सरकार को न तो बजट सत्र बुलाने का अधिकार है और न ही फ्लोर टेस्ट से पहले राज्यपाल का अभिभाषण होना चाहिए। पहले फ्लोर टेस्ट हो।

वहीं कांग्रेस नेता और संसदीय कार्यमंत्री डा. गोविंद सिंह ने कांग्रेस विधायकों के लिए व्हिप जारी की है। साथ ही कहा है कि भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है। विधायकों को बंधक बनाया गया है, सरकार को बहुमत हासिल है, अभिभाषण पर चर्चा और बजट पर फ्लोर टेस्ट होगा ही।

एक तरफ जहां फ्लोर टेस्ट को लेकर सियासी संग्राम चल रहा है तो दूसरी ओर प्रशासनिक गतिविधियां भी बढ़ गई हैं। राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्य सचिव एसआर मोहंती व पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी के साथ जिलाधिकारी तरुण पिथेाड़े को शनिवार शाम को तलब किया था। इन अधिकारियों से कानून व्यवस्था तथा अन्य मसलों पर चर्चा की थी।

सत्ताधारी दल कांग्रेस और विरोधी दल दोनों ही फ्लोर टेस्ट की बात से सहमत हैं, मगर दोनों के अपने-अपने तर्क हैं। सत्ता पक्ष अभिभाषण से सत्र शुरू कर फ्लोर टेस्ट के कई मौके आने की बात कह रहा है तो भाजपा द्वारा अल्पमत की सरकार को सदन ही बुलाने का अधिकार न होने का दावा किया जा रहा है।


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