कर्नाटक में कानून-व्यवस्था के हालात को लेकर भाजपा, कांग्रेस में नोकझोंक
कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर भाजपा और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई

बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर भाजपा और कांग्रेस सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। कांग्रेस ने राज्य में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए समय मांगते हुए एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया। सदन में विपक्ष के उपनेता, कांग्रेस के यू.टी. खादर ने कहा कि बजरंग दल के एक कार्यकर्ता हर्ष की मौत हो गई और कई चर्चो पर भी हमले हुए।
उन्होंने आगे कहा कि राज्य में भय का माहौल है, जो विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए बेहतर कानून-व्यवस्था प्रबंधन की मांग करता है।
जब खादर अपनी बात रख रहे थे, उस दौरान कानून और संसदीय कार्य मंत्री जे.सी. मधुस्वामी ने हस्तक्षेप किया और कहा कि स्थगन प्रस्ताव के तहत केवल आपातकाल के विशिष्ट मुद्दों पर बहस की अनुमति है।
इससे भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई। स्पीकर विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी को दोनों दलों को शांत करना पड़ा।
खादर ने आगे कहा कि सत्ताधारी भाजपा को जमीन पर क्या हो रहा है, इसकी जानकारी नहीं है और वह केवल गहरी नींद में सो रही, इसलिए हम सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "क्या नफरत से मौत नहीं होती? क्या कर्फ्यू और निषेधाज्ञा समाधान हैं? समाज में हमेशा सौहार्दपूर्ण माहौल होना चाहिए।"
उन्होंने दावा किया, "लोगों के अनुकूल होने के बजाय, राज्य के पुलिस थाने राजनेताओं के अनुकूल हो गए हैं।"
इस मौके पर, मधुस्वामी ने फिर से हस्तक्षेप किया और कहा कि अगर खादर इस तरह से बयान देना जारी रखते हैं, तो सत्ताधारी पार्टी के सदस्यों को वाकआउट करना होगा।
स्पीकर कागेरी ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के तहत इस चर्चा को अनुमति देने की कोई संभावना नहीं है।
फिर उन्होंने कहा कि वह खादर द्वारा प्रस्तावित स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर रहे हैं और नियम 69 के तहत इस मुद्दे पर बहस की अनुमति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी बयान दिया कि उनकी सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए तैयार है।


