मिशन में फर्जी प्रतिनियुक्ति जांच में हुई पुष्टि
शिक्षा विभाग में व्याख्याता के विरूद्ध की गई जांच में गंभीर आरोप साबित होने के बाद दो सदस्यीय जांच अधिकारियों ने संबंधित के खिलाफ राशि वसूले जाने की अनुशंसा की है

जांजगीर। शिक्षा विभाग में व्याख्याता के विरूद्ध की गई जांच में गंभीर आरोप साबित होने के बाद दो सदस्यीय जांच अधिकारियों ने संबंधित के खिलाफ राशि वसूले जाने तथा मामले में अपराधिक प्रकरण दर्ज किये जाने की अनुशंसा की है। बावजूद इसके महीने भर से फाईल राजीव गांधी शिक्षा मिशन व जिला शिक्षा अधिकारी के टेबल में घूम रही है। पूरे मामले का खुलासा आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी से हुआ।
ज्ञात हो कि राजीव गांधी शिक्षा मिशन में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे एक व्याख्याता की शिकायत हुई थी। शिकायत में उक्त व्याख्याता की प्रतिनियुक्ति को फर्जी होने का आरोप लगाया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन द्वारा प्राचार्यों की एक जांच कमेटी गठित की गई, जिन्होंने नियुक्ति और उसके प्रमोशन और प्रतिनियुक्ति की जांच की। जांच के उपरांत टीम ने पांच बिंदुओं में जांच का विस्तृत प्रतिवेदन और पांच बिंदुओं में अपना अभिमत जिला शिक्षा अधिकारी को सौंपा। इस मामले में मुड़पार निवासी संतोष खूंटे ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की तो इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
मामले में जांच टीम ने 5 अक्टूबर को जिला शिक्षा अधिकारी को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है, जिसमें व्याख्याता पंचायत के लिए जारी पदोन्नति आदेश में शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बनारी में पदस्थ शिक्षक को हाईस्कूल खोखसा में व्याख्याता के पद पर पदोन्नत किया गया, किन्तु उक्त शाला से न तो कार्यमुक्त संबंधी कोई अभिलेख मिले है और ना ही हाईस्कूल खोखसा में कार्यभार ग्रहण करने संबंधी। इसके बाद हाईस्कूल खोखसा से उसे जिला परियोजना कार्यालय राजीव गांधी िशक्षा मिशन में कार्यभार ग्रहण कराया गया, जो कि पदस्थापना नियमों के विपरीत है।
ऐसे में पदोन्नति की कार्रवाई को शून्य करणीय योग्य बताया गया। इसी तरह उसके द्वारा 29 अक्टूबर 2012 से 2 मई 2015 तक मिशन के वेतनमद से जो वेतन भुगतान प्राप्त किया गया है उसे वसूली योग्य बताते हुए अन्य कोई एरियर्स की राशि को वसूली योग्य कहा गया है। इसी तरह प्रतिनियुक्ति में भत्ता लेने को अमानत में खयानत की श्रेणी में होना बताया गया है। इसी प्रकार प्रतिनियुक्ति में आदेश क्रमांक-14 पर हेंडराइटिंग से राजीव गांधी शिक्षा मिशन दर्शाया गया है उसमें आयुक्त के हस्ताक्षर में उपसंचालक का हस्ताक्षर किया गया है, जिसमें काट-छांट प्रतीत हो रहा है, इसे कुटरचना की श्रेणी में बताते हुए गंभीर अपराधिक कृत्य बताया गया है।
इस तरह से संबंधित अधिकारी को प्रतिनियुक्ति भत्ता प्रदान किया गया है, उसे आर्थिक अनियमितता करार देते हुए वसूली और इसे आर्थिक गबन की श्रेणी का अपराध बताया गया है। मजेदार बात यह है कि जांच टीम ने 5 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को प्रस्तुत की।
इसके बाद 7 अक्टूबर को जिला िशक्षा अधिकारी ने इसे जिला परियोजना समन्वयक राजीव गांधी शिक्षा मिशन को कार्रवाई के लिए प्रेषित किया। इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं होने पर मामले की शिकायत कलेक्टर से हुई तो वहां से मिले आवेदन पर यह फाइल 18 अक्टूबर को राजीव गांधी शिक्षा मिशन के जिला समन्वयक ने पुन: जिला शिक्षा अधिकारी को भेज दी, जिसमें डीईओ को आवश्यक कार्रवाई के लिए कहा गया है। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने 27 अक्टूबर को इस मामले की फाइल फिर से जिला मिशन समन्वयक राजीव गांधी शिक्षा मिशन को भेज दी और इस बात का उल्लेख किया गया है कि इस प्रकरण में कार्रवाई करने के लिए मिशन समन्वयक सक्षम अधिकारी है।
बहरहाल मामले को एक माह से अधिक हो गए और जांच प्रतिवेदन के बाद कार्रवाई के लिए फाइल डीईओ और डीपीसी के चेम्बर में घूम रही है। अधिकारी कार्रवाई के लिए एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी डालकर अपने को बचाने की कोशिश कर रही है।


