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76 साल बाद सार्वजनिक हुए आजाद रेडियो के गोपनीय दस्तावेज

देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान क्रांतिकारियों ने 27 अगस्त से मुम्बई में भूमिगत रेडियो से ख़बरों का प्रसारण शुरू किया था

76 साल बाद सार्वजनिक हुए आजाद रेडियो के गोपनीय दस्तावेज
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नयी दिल्ली। देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान क्रांतिकारियों ने 27 अगस्त से मुम्बई में भूमिगत रेडियो से ख़बरों का प्रसारण शुरू किया था जिस से अंग्रेजों में खलबली मच गयी थी और खुफिया एजेंसी को इसका पता लगाने के लिए नाकों चने चबाने पड़े थे।

इस गुप्त रेडियो का इतिहास गत दिनों पहली बार एक पुस्तक के रूप में सामने आया है जिसमे 76 साल बाद सार्वजानिक हुए गोपनीय दस्तावेजों के साथ इसकी पूरी रोमांचक गाथा लिखी गयी है। प्रकाशन विभाग द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से प्रकाशित पुस्तक ‘अनटोल्ड स्टोरीज आॅफ ब्राॅडकास्ट’ में इस गुप्त रेडियो ‘आज़ाद रेडियो’ से 71 दिन तक प्रसारित ख़बरों को पहली बार सार्वजानिक किया गया है।

पुस्तक का लोकार्पण हाल ही में केन्द्रीय संस्कृति राज्य मंत्री डॉ महेश शर्मा एवं केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने किया। यह पुस्तक राष्ट्रीय कला केंद्र के अधिकारी गौतम चटर्जी द्वारा सम्पादित एवं राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त दस्तावेजों पर आधारित है।

पुस्तक के अनुसार यह आज़ाद रेडियो 27 अगस्त 1942 को 41.78 मीटर वेव लेंथ पर शुरू हुआ था और इसका नाम कांग्रेस रेडियो था। इस रेडियो के पीछे प्रख्यात समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया का हाथ था और यह उनके ही दिमाग की उपज थी। इस रेडियो की शुरुआत हमारा हिंदुस्तान गीत से होती थी और अंत में वन्दे मातरम् से इसका समापन होता था।

यह रेडियो 71 दिनों तक अपना प्रसारण छह विभिन्न स्थानों से करता रहा ताकि पुलिस उसके ट्रांसमीटर को पकड़ न सके। मुम्बई के चौपाटी के सी व्यू इमारत से शुरू हुआ यह रेडियो बाद में रतन महल, अजित विला लक्ष्मी भवन पारेख वाड़ी तथा पैराडाइज बंगलो से संचालित होता रहा।

इस रेडियो को चलाने के काम में में सात लोगों की टीम थी जिनमें चार गुजरात के थे। इनके नाम विट्ठल दास माधवी खखर (20), उषा मेहता (22), विट्ठल भाई कांता भाई जावेरी (28) और चंद्रकांत बाबूभाई जावेरी हैं। इसके अलावा उस ज़माने के मशहूर शिकागो रेडियो के मुख्य अभियंता जगन्नाथ रघुनाथ ठाकुर आजाद रेडियो के निदेशक और वायरलेस विशेषज्ञ नानक धर चाँद मोटवानी और 40 वर्षीय नरीमन प्रिंटर थे जो पेशे से रेडियो इंजीनियर थे।


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