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लोकतान्त्रिक संस्थाओं पर बढ़ते हमले के खिलाफ रिहाई मंच करेगा लखनऊ में सम्मेलन

रिहाई मंच राजिंदर सच्चर की स्मृति में, शब्बीरपुर दलित विरोधी हिंसा एक साल और मीडिया विजिल के दो साल पूरे होने पर 6 मई को लखनऊ में सम्मेलन करेगा

लोकतान्त्रिक संस्थाओं पर बढ़ते हमले के खिलाफ रिहाई मंच करेगा लखनऊ में सम्मेलन
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लखनऊ। रिहाई मंच राजिंदर सच्चर की स्मृति में, शब्बीरपुर दलित विरोधी हिंसा एक साल और मीडिया विजिल के दो साल पूरे होने पर 6 मई को लखनऊ में सम्मेलन करेगा।

मंच ने कहा कि भाजपा सरकार में लोकतान्त्रिक संस्थाओं पर लगातार हमले हो रहे हैं और हाशिये पर खड़े समाज के ऊपर सरकारी दमन भी बढ़ा है, भीम आर्मी के नेता चन्द्रशेखर आजाद के ऊपर रासुका लगाकर जेल। सहारनपुर से लेकर बलिया तक पूरा सूबा जातीय–साम्प्रदायिक आग में झुलस रहा है. मुठभेड़ के नाम पर दलित, पिछड़े और मुसलमानों की हत्याएं हो रही हैं।

मनुवादी-सामन्ती ताकतों के हौसले इतने बुलंद हैं कि पूरे सूबे में संविधान निर्माता बाबा साहेब की मूर्तियाँ दिन-दहाड़े तोड़ी जा रही हैं। गाय के नाम पर कहीं दलितों को सर मुड़वाकर सरेराह घुमाया जाता है तो मुस्लिम समाज की दुधमुँहे बच्चे और महिलाओं को जेल भेजा जा रहा है।

एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है और इसके खिलाफ 2 अप्रैल को देश व्यापी आन्दोलन में शामिल लोगों के ऊपर संगीन धाराओं में मुक़दमे लादकर जेलों में ठूस दिया गया है। देश के तमाम संस्थानों में दलितों –पिछड़ों के प्रतिनिधित्व को कानून बनाकर ख़त्म किया जा रहा है।

न्यायपालिका में भी सिर्फ राजनीतिक हस्तक्षेप ही नही बढ़ा है बल्कि पूरी व्यवस्था पर भी खतरा मडरा रहा है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से लेकर असीमानंद तक के मामलों में आदालतों के फैसले इसके उदाहरण हैं। इन सारी परिस्थितिओं में रिहाई मंच लखनऊ में सम्मेलन करेगा।

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने जारी प्रेस नोट में बताया कि मानवाधिकार-लोकतान्त्रिक आंदोलनों के संरक्षक राजिंदर सच्चर की याद में 6 मई को लखनऊ में सम्मेलन होना है. जिसमें मुख्य वक्ता के तौर भीम आर्मी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मंजीत सिंह नौटियाल, गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार, मीडिया विजिल के संस्थापक संपादक पंकज श्रीवास्तव, पूर्व आईजी एसआर दारापुरी, अल्पसंख्यक अधिकार मंच के शमशाद पठान और मीडिया विजिल के कार्यकारी संपादक अभिषेक श्रीवास्तव होंगे।

शाहनवाज़ आलम कहा कि पूरे देश में मीडियाकर्मियों पर हमले हो रहे हैं। मीडिया संस्थान या तो बिक चुके हैं या तो दमन और उत्पीड़न झेल रहे हैं। मीडिया विजिल के दो साल होने पर जरुरी है कि इस तरह की पत्रकारिता को सराहे जाने की जरुरत है जिसका सरोकार आम लोगों से जुडा हुआ है। उन्होंने कहा जब लोकतंत्र पर चहुँतरफ़ा हमला हो रहा है तो ऐसे वक्त में मीडिया विजिल जैसे संस्थानों की भूमिका बढ़ जाती है।


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