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ई-वे बिल में आ रही दिक्कतों के निवारण के लिए कार्यशला का आयोजन

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में केंद्रीय ई-वे बिल में आ रही दिक्कतों के निवारण का प्रयास शुरू हो गया है

ई-वे बिल में आ रही दिक्कतों के निवारण के लिए कार्यशला का आयोजन
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नोएडा। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में केंद्रीय ई-वे बिल में आ रही दिक्कतों के निवारण का प्रयास शुरू हो गया है। इसके तहत शुक्रवार को सेक्टर-62 स्थित केंद्रीय जीएसटी कार्यालय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।

जिसमें विस्तार से इस मामले पर चर्चा हुई। कई अहम मुद्दों का मौके पर निस्तारण कर दिया गया। इस मौके पर एनईए वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरीश जोनेजा ने इस दौरान कहा कि यदि कंपनी का डाटा मास्टर एकांउट में डाला हुआ है तो उप उपयोगकर्ता या मोबाइल एप से ई-वे बिल बनाने में सिस्टम को दोबारा नहीं मांगना चाहिए। डिटेल मास्टर डाटा से ही उठ कर आना चाहिएए जबकि सिस्टम दोबारा डिटेल मांग रहा है।

कुछ राज्यों के परिवहन वाहन के पंजीकरण नंबर जैसे डीएल-1 एल, एक अंक में हैं लेकिन सिस्टम की आवश्यकता 2 अकों की है, सिस्टम एकल बी दर्ज होने पर पार्ट बी को अस्वीकार करता है। छोटे आपूर्तिकर्ता केवल ए हिस्से पर आपूर्ति भेज रहे है, जो कि जीएसटी में मान्य नही है। इसमें सिगल डिजिट को स्वीकार करने का प्रावधान होना चाहिए।

क्या मोटर वाहन में जॉब वर्क सामग्री को परिवहन के दौरान ई-वे बिल जनरेट करने के लिए मूल्य में छूट है। इस पर केंद्रीय जीएसटी कमिश्नर मनमोहन सिंह ने बताया कि मोबाइल एप तथा सिगल डिजिट की समस्या सिस्टम से हो रही है। इसे हम जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखेगें। उन्होने बताया कि प्रदेश के अन्दर जॉब वर्क करने पर आर्डर तथा माल का मूल्य 50 हजार रुपए के कम है तो उसे ई-वे बिल की जरूरत नही है।

अंतरराष्ट्रीय जॉब वर्क करने पर ही माल का मूल्य तथा जाब वर्क आर्डर 50 हजार रुपए के कम का होने पर ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। इस मौके पर एनईए उपाध्यक्ष सुधीर श्रीवास्तव, अनिल खन्ना, अतुल कांत वर्मा, सीए शेखर गुप्ता सहित केंद्रीय जीएसटी उपायुक्त डीडी मंगल, विक्रम बंगोत्रा, सुप्रिया यादव, अजय अरोड़ा, अरूण खनका उपस्थित रहे।


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