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लोकतंत्र की मर्यादाओं के अनुरूप आचरण करें सदस्य : महाजन

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकतंत्र की स्वीकार्य मर्यादाओं के अनुरूप ही आचरण करने की सदस्यों से बुधवार को अपील की

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने लोकतंत्र की स्वीकार्य मर्यादाओं के अनुरूप ही आचरण करने की सदस्यों से बुधवार को अपील की।
सोलहवीं लोकसभा के आखिरी सत्र की अंतिम बैठक के बाद श्रीमती महाजन ने कहा कि लोकतंत्र में सहमति-असहमति स्वाभाविक है, लेकिन सहमति-असहमति से परे जाकर मर्यादा का उल्लंघन भी होता है और गतिरोध की स्थिति बन जाती है।

उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के इस सर्वोच्च प्रतीक लोकसभा, जिसे हम लोकतंत्र का मंदिर भी कहते हैं, में हम सभी से स्वीकार्य मर्यादाओं के अनुरूप ही आरक्षण अपेक्षित है, ताकि संसद की प्रतिष्ठा एवं शुचिता अक्षुण्ण रहे।’’

अध्यक्ष ने कहा कि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि इसके लोकतांत्रिक मूल्यों, सिद्धांतों एवं आदर्शों का पूरे विश्व में सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा, “हमारा लोकतंत्र एक जीवंत लोकतंत्र का उदाहरण है तथा देश के अन्दर और बाहर अन्य देशों के लिए यह प्ररेणा का स्रोत है।”

श्रीमती महाजन ने कहा, “अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों के निर्वहन में हम सब पांच सालों से एक परिवार की तरह साथ में रहे, अब हमारे लोकतंत्र की उच्च स्थापित परम्पराओं के अनुरूप जनता-जनार्दन से पुन: आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सभी उनके पास जायेंगे। इसलिए इस अवसर पर मेरे हृदय में संतोष के साथ बिछड़ने की अनुभूति है।” उन्होंने कहा कि सदन ने कई ऐसे फैसले लिये, जिससे नये भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जिनसे देश की तरक्की एवं गरीबों तथा वंचितों को अधिकार दिलाने की महत्वपूर्ण पहल की गयी।

सोलहवीं लोकसभा के दौरान सदन में 219 विधेयक पेश किये गये, जिनमें 205 सरकारी विधेयक सभा द्वारा पारित हुए और नौ सरकारी विधेयक वापस लिये गये। पारित विधेयकों में काला धन निरोधक विधेयक 2015, दिवालिया एवं धनशोधन संहिता 2016, बेनामी सम्पत्ति निरोधक संशोधन विधेयक, 2016, वस्तु एवं सेवा कर से संबंधित 101वां संविधान संशोधन विधेयक, 2016, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिये जाने से संबंधित 102वां संविधान संशोधन विधेयक, 2018, भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10 प्रतिशत आरक्षण से संबंधित 103वां संविधान संशोधन विधेयक शामिल हैं।

सोलहवीं लोकसभा के दौरान संबंधित मंत्रियों ने 23 हजार 808 पत्र सभा पटल पर रखे।

अध्यक्ष ने बताया कि इस लोकसभा के दौरान सदस्यों ने शून्य काल में 6244 अविलंबनीय लोक महत्व के मामले उठाये। इस दौरान नियम 377 के अधीन 4718 मामले उठाये गये।


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