मधुमेह और मेटाबोलिक बीमारियों के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ी, नए अध्ययन के नतीजों का खुलासा
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा संचालित आईसीएमआर-इंडियाब अध्ययन ने मधुमेह और मेटाबोलिक बीमारियों की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है

ग्रेटर नोएडा। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा संचालित आईसीएमआर-इंडियाब अध्ययन ने मधुमेह और मेटाबोलिक बीमारियों की चिंताजनक स्थिति को उजागर किया है।
डॉ. अमित गुप्ता, आरएसएसडीआई के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद सदस्य और ग्रेटर नोएडा के सेंटर फॉर डायबिटीज केयर के निदेशक ने इस अध्ययन के नवीनतम परिणामों और उनके परिणामों के महत्व पर चर्चा की। इस अध्ययन के परिणामों के अनुसार, भारत की आबादी का 11.4 प्रतिशत मधुमेह से प्रभावित है, जबकि 15.3 प्रतिशत लोगों को प्रीडायबेटिक माना जाता है।
इसके अलावा, 29.9 प्रतिशत लोगों में मोटापा पाया जाता है, जबकि 44.9 प्रतिशत लोगों को डिसलिपिडेमिया से प्रभावित होने की रिपोर्ट की गई है। ये चिंताजनक आंकड़े मधुमेह और अन्य अस्वस्थ मेटाबोलिक शरीरिक स्थितियों के बढ़ते संक्रमण की गंभीरता को प्रकट करते हैं। यह अध्ययन भारत में मधुमेह और अन्य मेटाबोलिक बीमारियों के बढ़ते प्रभाव को दिखाता है। यह आंकड़ा भारत की स्वास्थ्य प्रणाली और जीवनशैली में हो रही बदलावों के एक प्रमुख परिणाम है।
मधुमेह एक अवरोधी बीमारी है जो शरीर की इंसुलिन उत्पादन और उपयोग में कमी के कारण उत्पन्न होती है। इसके परिणामस्वरूप, रक्त शर्करा स्तर बढ़ जाता है और शारीरिक संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें हृदय रोग, किडनी समस्याएं, आंखों की समस्याएं, इन्फेक्शन और अंगांग संबंधित समस्याएं शामिल हो सकती हैं।
इस आपदा के सामर्थ्य को समझते हुए डॉ. अमित गुप्ता ने यहां सार्वजनिक के लिए कुछ महत्वपूर्ण समाधानों की प्रस्तावना की हैं। वे कहते हैं, ष्हमें एक स्वस्थ और जीवन्त जीवनशैली अपनाने की जरूरत है और उसके लिए हमें निम्नलिखित कदमों का पालन करना चाहिए
1-स्वस्थ आहाररू आपको पौष्टिक और संतुलित आहार खाना चाहिए। फल, सब्जियां, पूरे अनाज, से बनी चीजें आपके लिए अच्छे होंगे। मिठाइयों, तले हुए और प्रक्रियात्मक भोजनों का सेवन कम करें।
2-नियमित शारीरिक गतिविधिरू व्यायाम करना आपके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करेगा। रोजाना 30 मिनट का योग, पैदल चलना, साइकिलिंग या अन्य शारीरिक गतिविधियों का अभ्यास करें।
3-स्थिर नींदरू प्रतिदिन की 7-8 घंटे की नींद लेना महत्वपूर्ण है। नींद की कमी मधुमेह और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बढ़ती है, इसलिए नियमित और उचित नींद की ख्याल रखें।
4-नियमित जांच और संपकर्रू नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें और अपनी स्वास्थ्य की जांच कराएं।
5-जनजागरूकता और जागरूकतारू आपको मधुमेह और अन्य मेटाबोलिक बीमारियों के लक्षणों को समझने के लिए जागरूक होना चाहिए। अगर आप मधुमेह या प्रीडायबेटिक के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत एक चिकित्सक से संपर्क करें।
डॉ. अमित गुप्ता ने आगे कहा, ष्हमें इन समस्याओं के सामरिक और जनसंख्या के स्तर पर नियंत्रण और प्रबंधन के लिए मिलकर काम करना चाहिए। सरकारी स्वास्थ्य नीतियों के माध्यम से जनता को जागरूक करने, स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने, और मधुमेह के लिए उचित और सस्ते उपचार उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए।
इस संकट के सामर्थ्य को समझते हुए, उन्होंने यह भी जोड़ा, ष्संगठनों, स्वयंसेवी संगठनों और स्थानीय निकायों को भी साझा जिम्मेदारी उठानी चाहिए और जनता को समय-समय पर जागरूक करने के लिए महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। हम सभी मिलकर मधुमेह और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति सक्रिय रहें और स्वस्थ एवं खुशहाल जीवन की ओर एक संकल्प लें।ष्


