दवा की खोज में कंप्यूटर का इस्तेमाल हो रहा है कारगर : रूपकृष्ण
रामईश ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रावधिक विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया

ग्रेटर नोएडा। रामईश ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूट में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्रावधिक विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ रामईश संस्थान के चेयरमैन डॉ. आरसी शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम का शीर्षक है। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर द्वारा ड्रग डिजाइनिंग व खोज रहा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि दवा के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए हम कैसे पौराणिक चिकित्सा पद्धति जैसे आयुर्वेद, यूनानी, होमियोपैथी एवं सिद्धा को आधार बना सकते है। कार्यक्रम के मुख्याअतिथि जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व डीन और प्रो. रूप कृष्ण खार रहे। डॉ. खार ने बताया कि 21वीं शताब्दी में जहां सारे स्रोत्र सीमित है ऐसे में दवाओं की खोज एवं उनके विकास के लिए कंप्यूटर का बहुत महत्व है।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके हम ना केवल समय और धन की बचत कर रहे हैं साथ के साथ किसी भी असाध्य रोग के उपचार के लिए सटीक दवा की खोज व उसका परीक्षण किया जा सकता है। इंटीग्रल बायोसाइंस नोएडा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. श्रीकांत ए. रामचंद्रन ने अपने व्याख्यान में शिक्षकों को बताया कि आज विदेशों में दवा पर शोध कंप्यूटर की मदद से कैसे रफ्तार पकड़ रहा है।
डॉ. रामचंद्रन ने बताया कैसे हम कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के द्वारा कैंसर के सटीक उपचार में इस्तेमाल योग्य दवा का निर्माण कर सकते है और इसके माध्यम से हम भविष्य में आकस्मिक उत्पन्न होने वाले असाध्य रोगों का इलाज समय पर कर सकते हैं। पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम में विभिन्न संस्थानों एवं फार्मा कंपनियों से आए शिक्षकों और वैज्ञानिकों के लिए विभिन्न ड्रग डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर पर कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में रामईश की प्रबंध निदेशिका डॉ. प्रतिभा शर्मा, फार्मेसी के प्रिंसिपल डॉ. जैनेन्द्र जैन, डॉ. पल्लवी राय, डॉ. संदीप कुमार बंसल, डॉ. शालिनी शर्मा, डॉ. रामबाबू त्रिपाठी, असि. प्रो. राहुल कौशिक आदि मौजूद रहे।


