रोहिणी वासियों को कंपोजिशन शुल्क से मिली राहत
रोहिणी आवासीय योजना 1981 के तहत जहाँ सिविक एजेंसियों द्वारा मूलभूत सुविधाएं प्रदान नहीं की जा सकी हैं उन सेक्टरों में डीडीए द्वारा कंपोजिशन शुल्क तब तक नहीं लिया जाएगा

नई दिल्ली। रोहिणी आवासीय योजना 1981 के तहत जहाँ सिविक एजेंसियों द्वारा मूलभूत सुविधाएं प्रदान नहीं की जा सकी हैं उन सेक्टरों में डीडीए द्वारा कंपोजिशन शुल्क तब तक नहीं लिया जाएगा। जब तक इन सुविधाओं की व्यवस्था को सुनिश्चित नहीं कर दिया जाता।
साथ ही फ्लैटों पर कब्जा देने के लिए केवल मूल आवेदकों या उनके कानूनी वारिसों पर ही विचार किया जाएगा और उनके आधार नम्बर से जुड़ी बायोमेट्रिक्स से उनके बायोमेट्रिक इम्प्रेशन के मिलान द्वारा उनकी सत्यता को सुनिश्चित किया जाएगा।
सभी लंबित कारण बताओ नोटिस को वापिस लिया जाएगा। जल्द ही प्राधिकरण के इस निर्णय को आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय को भेजा जाएगा। उक्त आशय का फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल एंव डीडीए के अध्यक्ष अनिल बैजल की अध्यक्षता में संपन्न बैठक में लिया गया।
डीडीए के मुताबिक फ्लैट आवंटन के लिए पात्रता मानदंडों में से एक यह भी था कि यदि किसी आवेदक का निजी हिस्सा संयुक्त रूप से स्वामित्व वाले प्लॉट या भूमि पर 65 वर्ग मीटर से कम है तो उस मामले में वह इस योजना के तहत भूखंड के आवंटन के लिए पात्र होगा।
लेकिन ऐसा व्यक्ति जो दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा आबंटित किसी आवास या प्लाट का स्वामी हो तथा उसका क्षेत्रफल यदि 65 वर्ग मीटर से कम होने पर भी वह आबंटन के लिए पात्र नहीं होगा। गौरतलब कि रोहिणी में आवासीय भूखंडों के आवंटन के लिए योजना का प्रारंभ 9 फरवरी 1981 को हुआ था तथा भूखंडों का आवंटन 5 वर्षों की अवधि में चरणबद्ध रूप से आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि अर्थात् 25 अप्रैल 1986 के पश्चात किया जाना था।
प्राधिकरण ने इसे भी अनुमोदित किया कि चूंकि विभिन्न कारणों के वजह से 05 वर्षों की समय सीमा का पालन नहीं किया जा सका और स्वभाविक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए कोई भी ऐसे पंजीकर्ता, जिन्होंने स्कीम के समाप्त होने की तिथि से 05 वर्षों के बाद कोई संपत्ति खरीदी हो उन्हे उनके नाम अथवा आश्रित के नाम पर अधिग्रहित किसी भी आकार और प्रकृति के प्लॉट और फ्लैट को छोड़कर, प्लॉट के आबंटन से वर्जित नहीं किया जाएगा ।
ऐसे आवेदक जिन्होंने स्वेच्छा से स्कीम से नाम वापिस ले लिया है तो उनके पास नाम पर पुनर्विचार करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा।


