शहर को कचरा मुक्त बनाने के लिए सेक्टरों में लगे कंपोस्टिंग मशीन
सेक्टरों से निकलने वाले जैविक कचरे का निस्तारण किया जाना है
नोएडा। सेक्टरों से निकलने वाले जैविक कचरे का निस्तारण किया जाना है। कचरे के निस्तारण सेक्टर में हो जाए यह जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए व प्राधिकरण की है। प्राधिकरण ने इसके लिए मंगलवार को इंदिरा गांधी कलाकेंद्र में प्रदर्शनी व बैठक आयोजित की। इसमे आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों के साथ प्राधिकरण अधिकारी मौजूद रहे। वहीं, पांच कंपनियों ने कंपोस्टिंग मशीन का प्रस्तुतीकरण दिया। इन कंपनियों की पूरी जानकारी आरडब्ल्यूए को सौंप दी गई है। मशीन का चयन आरडब्ल्यूए करेगा। खरीद में 75 प्रतिशत की सब्सीडी प्राधिकरण द्वारा दी जाएगी।
शहर में प्रतिदिन करीब 650 मेट्रिक टन जैविक कचरा निकलता है। इसका बड़ा हिस्सा घरेलू कचरा है। योजना है कि सेक्टरों में कंपोस्टिंग मशीन लगाई जाए। सेक्टर के कचरे के निस्तारण वहीं, कर दिया जाए। ताकि मुख्य कचरा प्रबंधन संयंत्र तक कम कचरा पहुंचे। ऐसे में लैंड फिल साइट को जीरो डिस्चार्ज बनाया जा सके। इसके लिए पांच कंपनियों ने अपनी मशीनों का प्रस्तुतीकरण दिया। कंपनियों ने ऑटोमेटिक, सेमीऑटोमेटिक व मेन्यूल मशीनों की जानकारी दी। मशीनों के चयन की जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए को दी गई है। वह नियत दिनों के अंदर मशीन की जानकारी प्राधिकरण को सौंपेगी।
इसके बाद खरीदारी की जाएगी। मशीन की लागत का 75 प्रतिशत प्राधिकरण देगा बाकी 25 प्रतिशत आरडब्ल्यूए को देना होगा। इसके साथ कचरे से बनने वाली खाद प्राधिकरण उद्यान विभाग खरीदेगा। ताकि मशीन की लागत निकाली जा सके। बैठक में प्राधिकरण ने आरडब्ल्यूए को एनजीटी की गाइड लाइन के अलावा शहर को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक किया। विकल्प भी रखा गया कि यदि आरडबल्यूए कंपनियों से मशीन नहीं खरीद सकती तो वह सरकारी पोर्टल से भी मशीन खरीद सकता है। बैठक में आरडब्ल्यूए ने अपना पक्ष रखा। जिस पर प्राधिकरण ने स्पष्ट किया शहर से निकलने वाला अधिकांश कचरा सेक्टर से निकलता है।
सहमत नहीं होने पर चलेगा डोर-टू डोर अभियान
यदि आरडब्ल्यूए योजना से सहमत नहीं होता तो डोर-टू-डोर कचरे का कलेक्शन किया जाता रहेगा। इसके लिए आरडबल्यूए को चार्ज देना होगा। यदि वह महीने के हिसाब से चार्ज नहीं देता तो जुर्माना वसूल किया जाएगा। नियम के विरूद्ध जाने पर कार्यवाही भी सुनिश्चित
की जाएगी।


