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धारा 144 के तहत पूर्णतः प्रतिबन्ध, फिर भी 140 जगह जल गई नरवाई

जिला दण्डाधिकारी अक्षय कुमार सिंह द्वारा धारा-144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर नरवाई जलाने पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाया गया। फिर भी 15 से 25 अप्रैल के बीच सेटेलाइट इमेज के आंकड़ों में 140 जगह जल गई नरवाई। नरवाई जलाने पर अर्थदण्ड, धारा-188 के तहत कार्रवाई का भी है प्रावधान

धारा 144 के तहत पूर्णतः प्रतिबन्ध, फिर भी 140 जगह जल गई नरवाई
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गजेन्द्र इंगले
ग्वालियर: जिले में गेहूं की फसल कटने के बाद खेतों में शेष बचे अवशेष (नरवाई) को जलाने पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी अक्षय कुमार सिंह ने नरवाई जलाने से फैलने वाले प्रदूषण एवं अग्नि दुर्घटना से जानमाल की सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाने के उद्देश्य से धारा 144 के तहत इस आश्य का प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। उन्होंने ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों एवं राज्य शासन के पर्यावरण विभाग द्वारा पूर्व में जारी की गई अधिसूचना के पालन में यह प्रतिबंध लगाया है।
इस आदेश के बाद भी पूरे जिले में कई जगह नरवाई जलाई गई। इसरो की सेटेलाइट इमेज में भी 140 जगह नरवाई जलाने के आंकड़े सामने आए हैं। नरवाई जलाने की घटनाओं के मामले में ग्वालियर प्रदेश में 22वे स्थान पर है। जबकि 3131 मामले के साथ होशंगाबाद पहले व 1619 मामलों के साथ उज्जैन दूसरे स्थान पर है। नीवारी व बुरहानपुर में केवल 1-1 घटना ही सेटेलाइट पकड़ स्की। प्रदेश में इसी समयावधि में नरवाई जलाने की 16 हजार 3 सो 49 घटनाएं हुईं। हालाकि कृषि विभाग की जागरूकता की वजह से नरवाई जलाने की घटनाओं में जिले में काफी सुधार हुआ है। फिर भी
पूर्णतः प्रतिबन्ध के बावजूद नरवाई जलाने की 140 घटनाएं कहीं न कहीं निचले स्तर के अधिकारियों की लापरवाही दर्शाता है।
कलेक्टर द्वारा ज़ारी आदेश में स्पष्ट है कि यदि किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा जिले के अंतर्गत गेहूं की फसल कटाई के बाद अवशेषों को जलाया जाता है तो ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशानुसार संबंधित को पर्यावरण मुआवजा अदा करना होगा। साथ ही भारतीय दण्ड विधान की धारा-188 के तहत दण्डनीय कार्रवाई की जाएगी। दो एकड़ या उससे कम जमीन धारक को 2 हजार 500 रूपये प्रति घटना, दो एकड़ से अधिक और 5 एकड़ से कम भूमि धारक को 5 हजार रूपये प्रति घटना एवं 5 एकड़ से अधिक भूमि धारक को 15 हजार रूपये प्रति घटना जुर्माना भरना होगा। पर्यावरण मुआवजा निर्धारण एवं अर्थदण्ड के लिए संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी को अधिकृत किया गया है।
इस सम्बन्ध में जब जिला कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह से पूछा गया कि आपकी जानकारी अनुसार कितनी घटनाएं नरवाई जलाने की कितनी घटनाएं हुई और कितनों पर कार्यवाही हुई तो उन्होंने कार्यवाही न करते हुए किसानों को समझाइश की बात कही। लेकिन अभी तक कितनी जगह पर जुर्माने या समझाइश की कार्यवाही प्रशासनिक दल ने की इसके कोई आंकड़े वह उपलब्ध नहीं करा सके। मतलब साफ है के 17 अप्रैल को आदेश तो उन्होंने ज़ारी कर दिए, लेकिन वह अपने ही आदेश का पालन न करवा सके। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि नरवाई जलाने से हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिए जिला प्रशासन गम्भीर नहीं है।


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