सुरेन्द्रनगर-ढोला-ध्रांगध्रा खंड के विद्युतीकरण कार्य को पूरा
भारतीय रेलवे के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के राष्ट्र के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पश्चिम रेलवे ने सुरेन्द्रनगर-ढोला-ध्रांगध्रा खंड के 155 रूट किमी के विद्युतीकरण कार्य को पूरा कर लिया है।

भावनगर। भारतीय रेलवे के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण के राष्ट्र के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पश्चिम रेलवे ने सुरेन्द्रनगर-ढोला-ध्रांगध्रा खंड के 155 रूट किमी के विद्युतीकरण कार्य को पूरा कर लिया है।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जन सम्पर्क अधिकारी रवींद्र भाकर द्वारा बुधवार को यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सुरेन्द्रनगर-ढोला-ध्रांगध्रा खंड (155 रूट किमी) विद्युतीकरण परियोजना को पूरा करते हुए पश्चिम रेलवे ने 20 फरवरी तक चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कुल 553 रूट किमी का विद्युतीकरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य में इंदौर-रतलाम एवं रतलाम-नीमच, गुजरात राज्य में अहमदाबाद-पालनपुर, अहमदाबाद-वीरमगाम, वीरमगाम-महेसाणा, सुरेन्द्रनगर-बोटाद-धोला एवं सुरेन्द्रनगर-ध्रांगध्रा जैसे विभिन्न खंडों का विद्युतीकरण शामिल हैं, जो पिछले वर्ष प्राप्त लक्ष्य की तुलना में चार गुना से भी अधिक हैं।
श्री भाकर ने बताया कि मार्च 2020 में 300 रूट किमी से भी अधिक के सीआरएस निरीक्षण की योजना है, जिससे पश्चिम रेलवे द्वारा विद्युतीकरण का कुल रूट किमी 850 हो जायेगा, जो चालू वित्तीय वर्ष के दौरान पूरे भारतीय रेल के कुल विद्युतीकरण का लगभग 25 प्रतिशत होगा। मार्च 2020 तक पीपावाव पोर्ट तक रूट को विद्युतीकृत करने के प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि अप्रैल 2020 तक वाया पालनपुर पीपावाव से दिल्ली के लिए डबल स्टैक कंटेनरों को ले जाया जा सके। पश्चिम रेलवे विद्युतीकृत क्षेत्र में डबल स्टैक कंटेनरों को सफलतापूर्वक लाने-ले जाने के लिए पहली रेलवे है, जिसके लिए 7.57 मीटर के कॉन्टैक्ट वायर हाइट वाले हाई राइज ओएचई की व्यवस्था की गई है, जो विश्व में इस प्रकार की पहली उपलब्धि है। प्रदूषण मुक्त और परिवहन के एनर्जी एफिशिएंट मोड वाले विद्युत कर्षण की शुरुआत के साथ पश्चिम रेलवे द्वारा ईंधन खपत पर प्रति वर्ष लगभग 200 करोड़ रु. बचत की सम्भावना है। विद्युत कर्षण पर 1000 जीटीकेएम ले जाने के लिए मुश्किल से 4.5 विद्युत एनर्जी इकाई की खपत होती है, जिसकी लागत डीजल कर्षण द्वारा समान भार को ले जाने के लिए लगभग 150 रु. की लागत के एचएसडी ऑयल की तुलना में सिर्फ लगभग 25 रु. है। इसीलिए पश्चिम रेलवे पर विभिन्न खंडों के विद्युतीकरण पर ईंधन की बचत में उल्लेखनीय बचत बचत होगी। इसके अतिरिक्त विद्युतीकरण के अधिक भरोसेमंद एवं शक्तिशाली होने के कारण ट्रेनों के परिचालन में भी सुधार होगा, जिससे खंड में अधिक ट्रेनों को चलाने के लिए लाइन क्षमता में वृद्धि होगी। मेल/एक्सप्रेस एवं मालगाड़ियों को विद्युतीकृत खंडों पर निरंतर विद्युत कर्षण पर ले जाया जा रहा है। अधिक ऊर्जा बचत वाले परिवहन के कारण विद्युतीकरण का देश के कार्बन फुट प्रिंट में और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी करते हुए स्वच्छ एवं हरित पर्यावरण में बहुत बड़ा योगदान है। पश्चिम रेलवे ऊर्जा संरक्षण को बढ़ाने तथा ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अपनी प्रतिबद्धता के लिए बहुत से कदम उठा रही है। यह भी उल्लेखनीय है कि इन निरंतर प्रयासों के कारण पश्चिम रेलवे को विद्युत मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी द्वारा राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2019 पुरस्कार के दौरान 14 दिसम्बर 2019 को परिवहन श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
रेल संरक्षा आयुक्त आर. के. शर्मा ने 17 एवं 18 फरवरी को इस नव विद्युतीकृत खंड का निरीक्षण किया। इस अवसर पर पश्चिम रेलवे के प्रमुख मुख्य बिजली इंजीनियर संजीव भूटानी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उनके साथ मौजूद थे। इस खंड पर हुआ विद्युतीकरण का उल्लेखनीय कार्य भारतीय रेल प्रणाली पर किसी एक खंड पर हुए सर्वाधिक विद्युतीकरण की उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गया है।


