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पूरा कश्मीर रेड जोन, ऐसे में कैसे होगी अमरनाथ यात्रा

प्रदेश प्रशासन ने अनलाक 2.0 के दिशा निर्देश जारी करते हुए कश्मीर वादी के सिर्फ बांडीपोरा जिले को छोड़ पूरी कश्मीर वादी को रेड जोन की कैटेगरी में रखा है।

पूरा कश्मीर रेड जोन, ऐसे में कैसे होगी अमरनाथ यात्रा
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अदालत में पहुंचा मामला, सरकार से पूछा कोरोना से निपटने को क्या करेंगें

जम्मू । प्रदेश प्रशासन ने अनलाक 2.0 के दिशा निर्देश जारी करते हुए कश्मीर वादी के सिर्फ बांडीपोरा जिले को छोड़ पूरी कश्मीर वादी को रेड जोन की कैटेगरी में रखा है। ऐसे में अमरनाथ यात्रा कैसे होगी। यह सवाल सबसे बड़ा है। यही नहीं अब तो एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भी सरकार से उन इंतजामात के बारे में जानकारी देने को कहा है जिसके तहत अगर अमरनाथ यात्रा शुरू होती भी है तो श्रद्धालुओं को कोरोना से कैसे बचाया जाना है।

देर रात प्रदेश प्रशासन ने पूरे कश्मीर को एक बार फिर रेड जोन घोषित कर दिया। कोरोना के फैलने के बाद से ही लाकडाउन में भी और अनलाक 1.0 में भी कश्मीर रेड जोन में ही था। फर्क इतना है कि अनलाक 2.0 में सिर्फ बांडीपोरा जिले को ओरेंज जोन में रखा गया है।

नतीजतन अमरनाथ यात्रा संपन्न करवाने की तैयारियों पर सवाल उठने लगा है। प्रशासन के सामने सबसे बड़ा सवाल यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु प्रदेश में कैसे आएंगें का है। इसके बहुतेरे कारण हैं। प्रदेश प्रशासन ने फिलहाल 31 जुलाई तक दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों पर प्रतिबंध जारी रखा है। रेल या हवाई जहाज से आने वालों के लिए 7 से 14 दिनों का क्वारांटाइन रखा गया है।

तो क्या अमरनाथ यात्रा में शामिल होने वाले दर्शन मात्र के लिए इतनी लंबी यात्रा में शामिल हो पाएंगें, के प्रति कोई भी उत्तर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से नहीं मिला था। यह बात अलग थी कि 5 जुलाई को व्यास पूर्णिमा के दिन से, अमरनाथ यात्रा के इतिहास में पहली बार, 3 अगस्त श्रावण पूर्णिमा वाले दिन तक अमरनाथ की गुफा में सुबह-शाम होने वाली आरती का सीधा प्रसारण होने जा रहा है जिसके लिए दूरदर्शन की टीमों को गुफा तक पहुंचा दिया गया है।

लेकिन इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि कोरोना के बावजूद प्रशासन द्वारा अमरनाथ यात्रा की तैयारियां करने पर अब हाईकोर्ट भी सामने आया है। इस मामले में एक जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई है। इसे सचिन शर्मा नामक वकील की ओर से दायर किया गया है। इसमें कई सवाल उठाए गए हैं। उठाए गए सवालों में सबसे बड़ा सवाल आने वालों को कैसे प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और वे ठहरेंगें कहां पर, खाना कहां से खाएंगें। इस जनहित याचिका पर प्रशासन को नोटिस जारी किया जा चुका है औा जल्द जवाब देने के लिए कहा गया है क्योंकि संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि 21 जुलाई से 14 दिन के लिए अमरनाथ यात्रा करवाई जा सकती है। पर यह तारीखें आधिकारिक नहीं हैं।

डिवीजन बेंच ने जम्मू कश्मीर सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल असीम साहनी को निर्देश दिए कि वह पता करें कि अमरनाथ यात्रा के आयोजन को लेकर सरकार ने क्या फैसला लिया है? वह पता करें कि अगर यात्रा होती है तो प्रतिदिन कितने श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है? यात्रा के आयोजन की सूरत में कोरोना महामारी से निपटने के क्या प्रबंध होंगे?

अपनी याचिका में एडवोकेट सचिन शर्मा ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए इस साल अमरनाथ यात्रा आयोजित न करने की अपील की है। इसमें कहा गया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सेना, बीएसएफ व पुलिस की तैनाती रहती है। यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यात्रा मार्ग पर मेडिकल कैंप लगते हैं। स्वयंसेवी संगठन लंगर लगाते हैं। इसमें कहा गया कि यह यात्रा स्थानीय लोगों के सहयोग से संभव नहीं क्योंकि वही श्रद्धालुओं के लिए घोड़ों-पालकी का प्रबंध करते हैं। मौजूदा समय में ऐसा कोई प्रबंध संभव नहीं है। श्रद्धालुओं के लिए लंगर लगाने वाला कोई नहीं है और न ही घोड़े-पालकी की सेवा देने वाले उपलब्ध हैं।

--सुरेश एस डुग्गर--


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