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चंद्रयान-3 के लैंडर और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बीच संवाद शुरू

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि भारत के नवीनतम चंद्रमा लैंडर ने चंद्रयान -2 मिशन के ऑर्बिटर के साथ संचार लिंक स्थापित कर लिया है जो 2019 से चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है

चंद्रयान-3 के लैंडर और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के बीच संवाद शुरू
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चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि भारत के नवीनतम चंद्रमा लैंडर ने चंद्रयान -2 मिशन के ऑर्बिटर के साथ संचार लिंक स्थापित कर लिया है जो 2019 से चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है।

"आपका स्वागत है दोस्त!" चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने उस लैंडर से कहा जिसे इस वर्ष चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाया गया था।

इसरो ने सोमवार को ट्वीट किया, ''दोनों के बीच दोतरफा संचार स्थापित हो गया है।''

अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी कहा कि मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स के पास अब लैंडर के साथ संचार करने के लिए दो-दो ऑर्बिटर हैं।

दूसरे शब्दों में, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर लैंडर के साथ इसरो के लिए बैकअप संचार चैनल होगा।

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।

हाल ही में, लैंडर मॉड्यूल प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो गया और प्रोपल्शन मॉड्यूल अब भी 25 किमी गुणा 134 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगा रहा है।

इसरो के अनुसार, प्रोपल्‍शन मॉड्यूल की प्रणालियों की जांच की जा रही है और निर्धारित लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार किया जाएगा। पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त 2023 को भारतीय समयानुसार शाम लगभग 5.45 बजे शुरू होने की उम्मीद है।

लैंडर के अंदर रोवर है और चंद्रमा पर उतरने के बाद रोवर निकलकर और उसे सौंपे गए वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देगा।

चंद्रयान-3 प्रोपल्शन मॉड्यूल के लिए प्राथमिक संचार चैनल इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु में मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स होगा जो बदले में लैंडर और रोवर से संवाद करेगा।

इसरो के अनुसार, लैंडर के 23 अगस्त 2023 को शाम करीब 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास कदम उतरने की उम्मीद है।

लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा।

करीब 600 करोड़ रुपये की लागत वाले भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा पर धीरे से उतारना है।

चंद्रयान-2 मिशन विफल हो गया क्योंकि 'विक्रम' नामक लैंडर का चंद्रमा की सतह पर उतरते समय अचानक संपर्क टूट गया और वह क्रैशलैंड कर गया।

सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल मैन्‍यूवरों की एक श्रृंखला शामिल होती है।

सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम 3 द्वारा पृथ्‍वी की कक्षा में स्थापित किया गया था।

अंतरिक्ष यान 1 अगस्त को पृथ्‍वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की ओर चला गया।


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