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आम आदमी को लगता है, सपनों का घर अब पहुंच से परे है : सर्वे

कोरोनावायरस महामारी और इसके बाद लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के कारण कई क्षेत्रों से संबंधित व्यवसायों में भारी गिरावट देखने को मिली है

आम आदमी को लगता है, सपनों का घर अब पहुंच से परे है : सर्वे
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नई दिल्ली। कोरोनावायरस महामारी और इसके बाद लागू किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के कारण कई क्षेत्रों से संबंधित व्यवसायों में भारी गिरावट देखने को मिली है। इसकी वजह से लोगों की वित्तीय संभावनाएं पूरी तरह से अनिश्चित हो गई हैं और अब बड़ी संख्या में भारतीयों को लग रहा है कि उनका अपना खुद का एक आशियाना होगा, यह बात तो एक सपना ही रह बनकर रह गई है। आईएएनएस-सीवोटर इकोनॉमिक बैटरी वेव सर्वेक्षण से पता चला है कि मध्यम आय वर्ग में लगभग 24.6 प्रति व्यक्ति और निम्न आय वर्ग में 18.3 प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनके सपनों का घर अब उनकी पहुंच से बाहर है।

दिलचस्प बात यह है कि 31 मार्च 2021 तक एक और वर्ष के लिए किफायती आवास इकाइयों को खरीदने के लिए मध्यम आय समूहों के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को बढ़ाने की सरकार की हालिया घोषणा के बावजूद लोगों की बीच निराशा मौजूद है।

घर खरीदने में अक्षमता की यह भावना महज कम और मध्यम आय वर्ग तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि उच्च आय वर्ग के लगभग सात प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि घर खरीदने की उनकी योजनाएं अब पटरी से उतर गई हैं।

उच्च आय वर्ग के लगभग 17.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे संपत्ति नहीं खरीद पाएंगे, जबकि 8.2 प्रतिशत मध्यम आय वर्ग और 6.3 प्रतिशत निम्न आर्य वर्ग में आने वाले उत्तरदाताओं को भी कुछ ऐसा ही लगता है। यह सर्वेक्षण विभिन्न पृष्ठभूमि से आने वाले 1,200 लोगों से बातचीत पर आधारित है।

दिलचस्प बात यह है कि उच्च आय वर्ग के कई लोगों को भी लगता है कि वे अब चार पहिया वाहन तक भी नहीं खरीद पाएंगे। 'कोविड ट्रैकर इकोनॉमी सर्वे वेव-4' ने दिखाया कि 17.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि कार खरीदना अब उनकी पहुंच से परे है।

वहीं मध्यम व निम्न आय वर्ग में भी क्रमश: लगभग 7.4 प्रतिशत और 5.8 प्रतिशत उत्तरदाता अब चार पहिया, तीन पहिया वाहन या ट्रैक्टर नहीं खरीद सकने की बात कर रहे हैं।

दोपहिया वाहनों की मांग आर्थिक स्थिति के आकार को दर्शाती है और यह बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगी। निम्न आय वर्ग में लगभग 7.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं को अब लगता है कि वे दोपहिया वाहन नहीं खरीद पाएंगे।

टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर या एयर-कंडीशनर खरीदने की योजना बना रहे मध्यम आय वर्ग के 3.5 प्रतिशत और उच्च आय वर्ग के 3.2 प्रतिशत लोगों ने इसे स्थगित कर दिया है, क्योंकि उन्होंने कहा कि वे ऐसी वर्तमान परिस्थितियों में ये उपकरण नहीं खरीद सकते हैं।

इसके अलावा निम्न आय वर्ग के दो प्रतिशत लोगों का कहना है कि ये उपकरण अभी भी उनके लिए एक दूर के सपने के तौर पर है।

निम्न आय वर्ग के कई लोगों के लिए एक दुकान के मालिक होने की आशाएं भी धराशायी हो गई है, क्योंकि लगभग 3.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे अब एक दुकान के मालिक नहीं हो सकते हैं।

इसके अलावा निम्न आय वर्ग के 2.4 प्रतिशत, मध्यम के 1.9 प्रतिशत और उच्च आय वर्ग के कुल 2.8 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे फोन या लैपटॉप खरीदने की योजना को भी सिरे नहीं चढ़ा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये तकनीकी उपकरण सस्ते नहीं हैं और वह इन्हें नहीं खरीद कर सकते हैं।

मध्यम आय वर्ग में उनमें से केवल 28.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी बचत के साथ और किसी भी आय के साथ केवल एक महीने तक जीवित रह सकते हैं, जबकि निम्न आय वर्ग में 25 प्रतिशत भी अपनी बचत पर केवल एक महीने तक ही जीवित रह सकते हैं।

एक औसत भारतीय के जीवन पर राष्ट्रव्यापी बंद का वित्तीय प्रभाव किस प्रकार से पड़ा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि निम्न आय वर्ग में 32 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगता है कि वे बिना आय के एक महीने से कम समय तक जीवित रह पाएंगे, जबकि मध्यम आय वर्ग के 19.6 प्रतिशत लोगों ने ऐसा महसूस किया।

मध्यम आय वर्ग में से केवल 28.7 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपनी बचत के साथ और किसी भी आय के केवल एक महीने तक जीवित रह सकते हैं, जबकि निम्न आय वर्ग के 25 प्रतिशत लोगों का मानना है कि वे अपनी बचत के साथ केवल एक महीने तक ही जीवित रह सकते हैं।


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