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समिति ने सौंपी जांच रिपोर्ट

 बिलासपुर विश्वविद्यालय के प्री-पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2015 मामले में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने बीयू प्रशासन को कार्रवाई....

समिति ने सौंपी जांच रिपोर्ट
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बीयू कार्यपरिषद् की बैठक में होगा फैसला
बिलासपुर। बिलासपुर विश्वविद्यालय के प्री-पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2015 मामले में छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने बीयू प्रशासन को कार्रवाई के लिए छह बिन्दुओं में जांच की अनुशंसा की थी। मामले में आज विश्वविद्यालय के 6 सदस्यीय कमेटी की बैठक हुई। बैठक में दो विधिक सलाहकार अनुपस्थित रहे। प्री पीएचडी मामले की जांच के लिए बनी समिति के सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट रजिस्ट्रार को सौप दी है। अब विश्वविद्यालय की अगली कार्यपरिषद की बैठक में इस मामले पर फैसला लिया जाएगा।

विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में आज दोपहर 12 बजे जांच समिति की बैठक हुई। इसमें रविशंकर विश्वविद्यालय के एससी सेल प्रमुख प्रो.एस के जाधव, दुर्ग विश्वविद्यालय के ज्योति रानी सिंह, रतनपुर कालेज के प्राध्यापक पी एल कोसाम, सहायक कुलसचिव नेहा यादव शामिल थे। वहीं दो विधिक सलाहकार लॉ कालेज के प्राचार्य अन्नू भाई सोनी, वि.वि.के पेनल लॉयर सुदीप अग्रवाल अनुपस्थित रहे।
गौरतलब है कि आयोग ने स्पष्ट कहा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए था। केंद्रीय विश्वविद्यालय के 12 शोधार्थियों ने आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया है। उन्हें तत्काल मूल संख्या में वापस करे। पीएचडी प्रवेश परीक्षा 2015 में 19 विषयों में डीईटी प्रवेश लेने वाले सभी का आरक्षण रोस्टर का पालन करें। दो वर्ष की सेवा दे चुके सहायक प्राध्यापकों को दरकिनार कर संविदा, अस्थायी व स्कूल प्रशिक्षकों का चयन किया गया है। यह गलत है।

बिलासपुर विश्वविद्यालय ने मनमाने व गलत ढंग से भर्ती की है। इसे तत्काल निरस्त करें। सभी वर्गों के लिए प्रतिशत के आधार पर प्रवेश ले। एसटी वर्ग के सफल छात्रों के प्रवेश में भेदभाव व प्रताड़ना होती है। पुलिस जांच कर अत्याचार निवारण की कार्रवाई करे।
बिलासपुर विश्वविद्यालय ने स्थापना के बाद पहली बार 19 विषयों में पीएचडी कराने डीईटी 2015 के लिए 14 जनवरी 2015 को विज्ञापन जारी किया था।

प्रवेश परीक्षा के बाद शिकायत कर्ता संत कुमार नेताम ने 26 मई 2016 को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष आरक्षण नियमों का पालन नहीं करने शिकायत की। इसके बाद से मामले में आयोग ने विश्वविद्यालय से लगातार दस्तावेज मंगाए। जांच व सुनवाई पूरी होने के बाद अब कार्रवाई के लिए अनुशंसा की है। मालूम हो कि आयोग के पास मामला जाने के बाद से प्री-पीएचडी प्रवेश परीक्षा पर रोक लगा दी गई थी। पूरे प्रकरण में डीआरसी मेंबर से लेकर पूर्व रजिस्ट्रार परीक्षा नियंत्रक सहित सीएस के एचओडी की सीधे निशाने पर है।


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