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फेसबुक के खिलाफ दिल्ली विधानसभा की कमेटी ने की सुनवाई

दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव कमेटी ने मंगलवार को फेसबुक के अधिकारियों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले कंटेंट को जानबूझ कर नजरअंदाज करने से संबंधित आई शिकायतों को लेकर बैठक की

फेसबुक के खिलाफ दिल्ली विधानसभा की कमेटी ने की सुनवाई
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा की शांति एवं सद्भाव कमेटी ने मंगलवार को फेसबुक के अधिकारियों के खिलाफ घृणा फैलाने वाले कंटेंट को जानबूझ कर नजरअंदाज करने से संबंधित आई शिकायतों को लेकर बैठक की। समिति के सामने तीन गवाहों ने उपस्थित होकर बयान दर्ज कराया। कमेटी के चेयरमैन राघव चड्ढा ने बताया कि कार्रवाई के दौरान सामने आया कि फेसबुक के कुछ आला अधिकारी घृणा फैलाने वाले कंटेंट जानबूझ कर अपने प्लेटफार्म से नहीं हटा रहे हैं। राघव चड्ढा ने कहा, "फेसबुक के कुछ अधिकारियों के नाम कमेटी के सामने आए, जिसमें अंखी दास, शिवनाथ ठुकराल और अन्य आला अधिकारियों का जिक्र किया गया। और कहा गया कि फेसबुक पर जो आरोप लग रहे हैं, उन सारी चीजों की तह तक जाने के लिए फेसबुक के अधिकारियों को कमेटी के सामने उपस्थित होने के लिए अवश्य समन किया जाए।"

कार्रवाई में मंगलवार को मुख्य तौर पर तीन गवाह कमेटी के सामने आए, जिन्होंने अपना बयान दर्ज कराया।

विधानसभा की समिति ने कहा, "द वॉल स्ट्रीट जर्नल में 14 अगस्त को एक आर्टिकल छपा था, जिसमें कुछ इस प्रकार की चीजें सामने आई थीं, कि फेसबुक और खास करके हमारे देश में फेसबुक के आला अधिकारी घृणा फैलाने वाले कंटेंट जानबूझकर अपने प्लेटफार्म से नहीं हटा रहे हैं। उस आर्टिकल से संबंधित शिकायतें हमारी कमेटी के सामने आईं, तो कमेटी ने उसका संज्ञान लिया और उचित समझा कि इस विषय पर कार्रवाई की जाए, तफ्तीश की जाए और उसके बाद कमेटी आने वाले समय में निर्णय पर अवश्य पहुंचेगी।"

मंगलवार को कमेटी के सामने जो गवाह आए, उसमें डोमेन एक्सपर्ट थे, जिन्होंने डिजिटल कंटेंट, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, साइबर फ्रीडम, इंटरनेट फ्रीडम और फेसबुक के ऊपर खास तौर पर खुद अध्ययन किया है। कमेटी को सुझाव देने के लिए उन्हें निमंत्रण दिया था।

गवाहों ने कमेटी को बताया, "ऐसा प्रतीत होता है कि फेसबुक एक तटस्थ मंच नहीं है। बहुत सारे ऐसे सबूत हैं, जो ये दिखाते हैं कि कंटेंट निष्पक्ष फेसबुक नहीं है। फेसबुक कुछ खास प्रकार के कंटेंट को ज्यादा महत्व ओर दृश्यता देता है और दूसरे प्रकार के कंटेंट को उतना बढ़ावा नहीं देता है। जो फेसबुक पर आरोप लगे थे, उन आरोपों का आधार है कि फेसबुक और राजनीतिक दलों के बीच में अपवित्र सांठगांठ है।"

मुख्य तौर पर जो आरोप लगा है, उसका एक आधार कमेटी के सामने रखा गया। एक खास प्रकार के कंटेंट जो राजनैतिक मकसदों की तरफदारी करता है, उसको प्रमोट किया जाता है और जो सवाल पूछता है, उस कंटेंट को ज्यादा ²श्यता नहीं दी जाती है।

राघव चड्ढा ने कहा, "दंगा भड़काने वाले, आपसी दुश्मनी पैदा करने वाले, सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले कंटेंट के खिलाफ फेसबुक के सामुदायिक मानक हैं, जिनको लागू कर कार्रवाई करता है। अगर कोई घृणा फैलाने वाला भाषण है, तो फेसबुक उस कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू करके उसे अपने प्लेटफार्म से निकाल देता है, उसको फेसबुक पर रहने नहीं दिया जाता है, लेकिन आज कमेटी के सामने ये भी रखा गया कि किस प्रकार से फेसबुक ने कुछ चीजों पर बहुत जल्द एक्शन लिया और कुछ चीजों को कई शिकायतों के बाद भी नहीं हटाया गया।"

राघव चड्ढा ने कहा, "कमेटी के सामने आया कि फेसबुक ने अपने कम्युनिटी स्टैंडर्ड को लागू करने में भेदभाव किया। इसमें सामने आया कि फेसबुक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रभावित करता है, जो भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है, जिसका हम दुनिया भर में गुणगान करते हैं।"


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