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बिसरख की आबादी विनियमावली के मसले निपटाने को समिति ने की सुनवाई

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की आबादी विनियमावली (लीज बैक) के प्रकरणों को सुलझाने की कोशिश में जुटा है

बिसरख की आबादी विनियमावली के मसले निपटाने को समिति ने की सुनवाई
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ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण किसानों की आबादी विनियमावली (लीज बैक) के प्रकरणों को सुलझाने की कोशिश में जुटा है। प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर आबादी व्यवस्थापन नियमावली की समिति ने इस बुधवार को बिसरख गांव के लीज बैक प्रकरणों पर सुनवाई की। लीज बैक के करीब 78 नए-पुराने प्रकरणों पर समिति ने किसानों का पक्ष सुना, जिन प्रकरणों में साक्ष्य प्राप्त नहीं हुए थे, उन में किसानों से साक्ष्य जमा कराने को कहा गया है।

दरअसल, आबादी की लीज बैक के लिए पहले एसीईओ और फिर सीईओ स्तर पर बनी समिति फैसला करती है। आबादी का लीज बैक सिर्फ उन्हीं किसानों के नाम ही हो सकती है, जो यहां के मूल निवासी हैं। बीते दिनों किसान प्रतिनिधियों ने सीईओ रितु माहेश्वरी से मुलाकात कर लीज बैक कराने की मांग की थी।

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सीईओ के निर्देश पर समिति लीज बैक के प्रकरणों पर ग्रामवार सुनवाई कर रही है। इस बुधवार (15 मार्च) को एसीईओ आनंद वर्धन के नेतृत्व में समिति ने बिसरख जलालपुर गांव के लीज बैक के प्रकरणों पर सुनवाई की। इसमें ओएसडी हिमांशु वर्मा, ओएसडी रजनीकांत, एसडीएम शरद कुमार पाल, जितेंद्र गौतम समेत अन्य सदस्य भी शामिल हुए।

समिति ने लीज बैक के पुराने प्रकरणों के साथ ही नए प्रकरणों पर भी सुनवाई की। किसानों के पक्ष को सुना। उनसे साक्ष्य प्राप्त किए। किसानों को 2011 व वर्तमान की सैटेलाइट इमेज भी दिखाई गई। जिन किसानों के पास साक्ष्य उपलब्ध नहीं थे, उनको आवेदन पत्र, मूल निवास का साक्ष्य और भूलेख के दस्तावेज शीघ्र ही विभाग में जमा कराने को कहा गया है।

समिति साक्ष्यों व सुनवाई के आधार पर निर्णय लेगी और अपनी रिपोर्ट बनाकर शीघ्र ही सीईओ की अध्यक्षता में बनी समिति के समक्ष प्रस्तुत करेगी। समिति की संस्तुति के आधार पर बोर्ड के अनुमोदन के बाद किसानों को आबादी की जमीन लीज बैक की जाएगी।

प्राधिकरण के एसीईओ आनंद वर्धन का कहना है कि सीईओ रितु माहेश्वरी के निर्देश पर किसानों के आबादी प्रकरण सुलझाने के लिए समिति सुनवाई कर रही है। सभी गांवों के मसले एक-एक करके निपटाए जाएंगे।

एसीईओ ने बताया कि अगली सुनवाई 22 मार्च को जैतपुर-वैशपुर गांव के किसानों की होगी।


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