काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद में कोर्ट ने निरीक्षण के लिए कमिश्नर किया नियुक्त
अयोध्या में राम जन्म भूमि का मुद्दा अभी सुलझा ही था कि अब वाराणसी में मंदिर—मस्जिद का नया विवाद शुरू हो गया है। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्ष जमीन पर अपना दावा कर रहे हैं। वाराणसी कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई करते हुए कमिश्नर नियुक्त कर दिया है। नए कमिश्नर ने मंदिर—मजिस्द परिसर के दौरे की तैयारी शुरू कर दी है

अयोध्या में राम जन्म भूमि का मुद्दा अभी सुलझा ही था कि अब वाराणसी में मंदिर—मस्जिद का नया विवाद शुरू हो गया है। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्ष जमीन पर अपना दावा कर रहे हैं। वाराणसी कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई करते हुए कमिश्नर नियुक्त कर दिया है। नए कमिश्नर ने मंदिर—मजिस्द परिसर के दौरे की तैयारी शुरू कर दी है।
राम जन्म भूमि विवाद का मामला तो सुलझ चुका है। लेकिन बीजेपी के एजेंडे में शामिल मथुरा और काशी अभी बाकी है। और ये दोनों मामले कोर्ट में भी पहुंच चुके हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मजिस्द के बीच के विवाद की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है। इस बीच वाराणसी कोर्ट ने इस मामले में कमिश्नर की नियुक्ति कर दी है। नए कमिश्नर 19 अप्रैल को मंदिर-मस्जिद परिसर का दौरा करेंगे, जिसकी वीडियोग्राफी की जाएगी। कमिश्नर के दौरे के समय सुरक्षाबलों की तैनाती के आदेश दिए गए हैं। दरअसल वाराणसी जिला कोर्ट ने सितंबर 2020 में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ताओं ने विवादित परिसर के निरीक्षण, रडार अध्ययन और वीडियोग्राफी के लिए कोर्ट से आदेश मांगा था। जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश दिया है। काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद बहुत पुराना है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे ज्योतिर्लिंग है.. यही नहीं ढांचे की दीवारों पर देवी देवताओं के चित्र भी प्रदर्शित हैं। दावा किया जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने 1664 में नष्ट कर दिया था.। दूसरी ओर ज्ञानवापी मजिस्द की ओर से अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने दलील दी है कि यहां विश्वनाथ मंदिर कभी था ही नहीं और औरंगजेब बादशाह ने उसे कभी तोड़ा ही नहीं, जबकि मस्जिद पहले से कायम है। कम से कम 1669 से यह मस्जिद होने के प्रमाण हैं... इस विवाद में पहला मुकदमा 1991 में वाराणसी कोर्ट में दाखिल हुआ था.. जिसमें ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति मांगी गई थी.. मस्जिद कमेटी ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी.. हाईकोर्ट ने 1993 में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए... 2019 में वाराणसी की कोर्ट में फिर से इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई..


