मप्र के सागर में छात्राओं के कपड़े उतरवाने पर आयोग सख्त
आयोग ने मंगलवार को सागर विश्वविद्यालय का मामला मीडिया की सुर्खियां बनने पर संज्ञान लिया

भोपाल। मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कन्या छात्रावास के गलियारे में सिनेटरी पैड मिलने पर कथित तौर पर छात्राओं को निर्वस्त्र कर माहवारी का पता लगाने के मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीर मानते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने मंगलवार को सागर विश्वविद्यालय का मामला मीडिया की सुर्खियां बनने पर संज्ञान लिया। इस पर आयोग ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में विस्तृत ब्यौरा मांगा है।
आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि अगर मीडिया रिपोर्ट सही हैं तो यह मामला छात्राओं की निजता का हनन है, उनके साथ यह अमानवीय कृत्य है। यह गंभीर मामला है और छात्रावास प्रबंधन को इस प्रकरण में सुरक्षात्मक रवैया अपनाना चाहिए था, क्योंकि इसका असर मन-मस्तिष्क पर डालने वाला है।
आयोग ने इस मामले को गंभीर करार देते हुए राज्य सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
ज्ञात हो कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कन्या छात्रावास के गलियारे में सिनेटरी पैड और कुछ खून के दाग मिलने पर छात्रावास की अधीक्षक ने सख्त ऐतराज जताया था।
छात्राओं का कहना है कि छात्रावास की एक मंजिल के गलियारे में खून के दाग थे, जो बाथरूम तक गए थे। बाथरूम के दरवाजे पर सिनेटरी पैड पड़ा था। इसी को लेकर प्राध्यापक ने केयर टेकर को आदेश दिया कि छात्राओं से पूछा जाए कि यह हरकत किसकी है। जब छात्राओं ने कुछ भी बताने से इनकार किया तो प्राध्यापक के फरमान पर एक-एक तकरीबन 50 छात्राओं के कपड़े उतरवाए गए और माहवारी का परीक्षण किया गया। छात्राओं ने रविवार को कुलपति से इसकी शिकायत की थी। कुलपति के माफी मांगने और आश्वासन के बाद छात्राएं छात्रावास लौट गईं।
कुलपति प्रो. तिवारी ने इस घटना की जांच के लिए एक समिति बनाई है, यह समिति 28 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने कहा कि इस घटना की जांच रिपोर्ट तीन दिन में मिल जाएगी। केयर टेकर को हटा दिया गया है।


