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सोशल मीडिया पर सीआईडी जांच पर टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण : जम्मू-कश्मीर पुलिस

पुलिस ने बुधवार को एक बयान में कहा कि सोशल मीडिया पर सीआईडी जांच के बारे में हालिया टिप्पणियां दो कारणों से दुर्भाग्यपूर्ण है

सोशल मीडिया पर सीआईडी जांच पर टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण : जम्मू-कश्मीर पुलिस
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श्रीनगर। पुलिस ने बुधवार को एक बयान में कहा कि सोशल मीडिया पर सीआईडी जांच के बारे में हालिया टिप्पणियां दो कारणों से दुर्भाग्यपूर्ण है - तथ्यात्मक रूप से गलत होने के लिए और सीआईडी अधिकारियों को बढ़ते खतरों और बढ़े हुए जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए। पुलिस के बयान में कहा गया है, "यह गवाहों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने और जांच के पाठ्यक्रम के जोखिमों से भी भरा हुआ है। यह तथ्यात्मक रूप से गलत है कि जांच के दौरान एक व्यक्ति को यातना दी गई। सीआईडी की जांच पेशेवर और कानून के अनुसार की जाती है। प्रत्येक गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को कानून के अनुसार समय-समय पर सक्षम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है।"

बयान में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक गिरफ्तार संदिग्ध को स्वास्थ्य सेवा भी मुहैया कराई जाती है और उनकी डॉक्टरों तक पहुंच सुनिश्चित की जाती है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि चल रही जटिल जांच के संबंध में सार्वजनिक तौर पर चर्चा करना या इस संबंध में पहले से ही कोई फैसला सुना देना न तो उचित है और न ही कानून सम्मत है।

बयान में कहा गया, "सीआईडी सभी पहलुओं पर अदालतों के लिए जवाबदेह है, जिसमें हिरासत में जांच के तहत किसी व्यक्ति को उपलब्ध सुविधाएं और अधिकार हैं और जांच में सहयोग करने के लिए उसके कानूनी दायित्वों का अनुपालन किया जा रहा है।"

इससे पहले बुधवार को जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कई ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उनकी पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष वहीद पारा को झूठे आरोप कबूल करने के बाध्य किया जा रहा है और इसके लिए उन्हें अमानवीय दशा में रखा जा रहा है और उनका उत्पीड़न किया जा रहा है।

महबूबा ने इसे शर्मनाक और घटिया हरकत करार दिया है। महबूबा ने ट्वीट किया, "जम्मू कश्मीर सीआईडी उन केंद्रीय एजेंसियों की सूची में शामिल हो गई है, जो कश्मीरियों को आतंकित करती हैं और उन्हें झूठे मामलों में फंसाती हैं। वहीद को झूठे आरोपों पर कबूलनामे के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। चूंकि कबूलनामा नहीं हुआ, इसलिए उन्हें अमानवीय दशा में रखा जा रहा है। यह जांच पहले ही दिन से फर्जी और राजनीति से प्रेरित है।"


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