2023 ओडिशा हॉकी विश्व कप पर खास लेख : कप्तान हरमन सहित इन 18 योद्धाओं पर होगा
2023 हॉकी विश्व कप में भारत का दारोमदार

- सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली। दुनिया के बेहतरीन ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह के सामने शुक्रवार से राउरकेला और भुवनेश्वर में एक साथ शुरू हो रहे 15 वे एफआईएच पुरुष हॉकी विश्व कप में अपनी कप्तानी में 1975 के चैंपियन भारत को 47 बरस बाद फिर पदक जिताने की चुनौती है। पेनल्टी कार्नर 'रशर अमित रोहिदास टीम के उपकप्तान होंगे।
सदाबहार गोलरक्षक पीआर श्रीजेश भारत के लिए यह लगातार चौथा और अपनी धरती पर तीसरा, 2020 के टोक्यो ओलंपिक में देश को चार दशक के बाद कांसा जिताने वाली टीम के कप्तान रहे मनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, आकाशदीप सिंह, ललित उपाध्याय का यह लगातार तीसरा और कप्तान हरमनप्रीत सिंह, सुरेन्दर कुमार, हार्दिक सिंह, वरुण कुमार और नीलकांत शर्मा का लगातार दूसरा विश्व कप होगा।
चोट के चलते एफआईएच प्रो लीग से बाहर रहे सेंटर हाफ विवेक सागर प्रसाद, जर्मनप्रीत सिंह,नीलम संजीप खेस, शमशेर सिंह, अभिषेक और सुखजीत सिंह का यह पहला विश्व हॉकी कप होगा।
भारत विश्व कप में अपने अभियान का आगाज पूल डी में स्पेन के खिलाफ राउरकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम में 13 जनवरी को पहले मैच से करेगा और 15 जनवरी को इसी मैदान पर इंग्लैंड से खेलेगा भारत की टीम अपना अंतिम पूल मैच खेलने के लिए 19 जनवरी को भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम जाएगी।भारत लगातार दूसरी और कुल चौथी बार पुरुष हॉकी विश्व कप की मेजबानी कर रहा है।
भारत ने बार्सीलोना में पहले विश्व कप में अजित पाल सिंह की अगुआई में कांसा, 1973 में एम्सटर्डम में दूसरे विश्व कप में रजत और 1975 में क्वालालंपुर में तीसरे विश्व कप में दद्दा ध्यानचंद के सुपुत्र अशोक कुमार सिंह के पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल में निर्णायक गोल से स्वर्ण पदक जीत चैंंपियन बनने का गौरव पाया।
आपका परिचय कराते हैं भारत के उन 18 'योद्धाओ से कराते हैं जिन पर भारत की नैया किनारे लगा कर ओडिशा हॉकी ब विश्व कप में पदक जिताने का दारोमदार रहेगा।
गोलरक्षक पीआर श्रीजेश : किले की सबसे मजबूत दीवार उम्र 34 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 274

किले की सबसे मजबूत दीवार और सबसे उम्रदराज गोलरक्षक पीआर श्रीजेश भारत के लिए अपना लगातार चौथा और अपने घर में तीसरा हॉकी विश्व कप खेलेंगे।
2021-22 में मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड से नवाजे जाने जाने वाले और लगातार दो बार 2021 और 2022 में एफआईएच के साल के सर्वश्रेष्ठï हॉकी गोलरक्षक रहे श्रीजेश देश के उस दक्षिणी अंचल से आते हैं जिसने देश को आईएम विजयन जैसे धुरंधर फुटबॉलर दिए।
श्रीजेश ने आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारत को टोक्यो ओलंपिक में 41 बरस बाद जर्मनी पर 5-4 से जिताने के साथ कांसे के रूप के रूप में पदक जिता अपनी अलग पहचान बनाई।
मध्यपंक्ति की मजबूत कड़ी :मनप्रीत सिंंह उम्र 30 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 314 गोल : 24

भारत की मध्यपंक्ति की मजबूत कड़ी हैं मनप्रीत सिंह। मनप्रीत पंजाब के उसी मीठा पुर से आते हंै जिसने भारत को ओलंपियन परगट सिंह जैसा दुनिया का बेहतरीन फुलबैक व कप्तान दिया।
अपनी प्रेरणादाई कप्तानी में आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारत को 2020 के टोक्यो ओलंपिक में 41 बरस बाद कांसे के रूप में पहला पदक जिता कर मनप्रीत अपने आदर्श परगट सिंह से दो कदम आगे निकल गए।
मनप्रीत भारत के लिए पिछले लगातार तीन ओलंपिक में खेले और अब भारत के लगातार तीसरा विश्व कप खेलने जा रहे हैं।
आक्रमण व रक्षण की कड़ी :आकाशदीप सिंंह, उम्र 28 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 219, गोल : 85

अब 'लिंकमैन' के रूप में आकाशदीप सिंह पर इस बार ओडिशा हॉकी विश्व कप में भारत की चुनौती बहुत आगे ले जाने की जिम्मेदारी होगी।
भारत की मौजूदा टीम में आकाशदीप(85गोल) सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने में तीसरे नंबर पर हैं।
आकाशदीप को बेशक यह मलाल ताउम्र रहेगा कि चीफ कोच ग्राहम रीड द्वारा नजरअंदाज किए जाने से वह चार दशक के बाद टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा नहीं बन पाए।
आकाशदीप बेशक लिंकमैन के रूप में खेलेंगे लेकिन अग्रिम पंक्ति मनदीप, ललित उपाध्याय और अभिषेक के लिए आगे गोल के लिए गेंद बढ़ाने की जिम्मेदारी उन पर रहेगी।
ड्रैग फ्लिकर लाजवाब: हरमनप्रीत सिंह, उम्र 26बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 164। गोल : 126
1975 के चैंपियन भारत को अपने घर में ओडिशा 2023 हॉकी विश्व कप में पदक जिताने में दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रैग फ्लिकर में से एक कप्तानहरमनप्रीत सिंह का रोल सबसे अहम रहने वाला है। भारत के लिए 164 अंतरराष्ट्रीय मैचों में हरमनप्रीत के कुल सबसे ज्यादा 126 गोल खुद इसकी गवाही देते हैं। पेनल्टी कॉर्नर पर अचूक निशाना साध ड्रैग फ्लिक से गोल कर हरमनप्रीत सिंह ने भारत 2020 के टोक्यो ओलंपिक में जिस तरह अहम भूमिका निभाई अब उनसे वैसी ही भूमिका टीम 2023 के हॉकी विश्व कप में निभाने की कर रही है।
मनदीप सिंह : जानते हैं गोल करने की कला, उम्र 27 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 194, गोल : 96

पतले-दुबले छरहरे 27 बरस के मनदीप सिंह का दुनिया की किसी भी रक्षापंक्ति को उसकी डी में पहुंच छका कर गोल करने में जवाब नही है।
उनकी कदकाठी और गोल करने की क्षमता भारत के सर्वकालीन स्ट्राइकर मोहम्मद शाहिद के साथी रहे मोहम्मद नईम की बरबस याद दिलाती है।
भारत की टोक्यो ओलंपिक में कांसा जीतने वाली टीम के अहम सदस्य रहे मनदीप सिंह भारत की मौजूदा टीम में मनप्रीत सिंह और वरुण कुमार सहित उन तीन खिलाडिय़ों में से एक है जो ओलंपियन परगट सिंह के गांव मीठापुर से हैं। ये तीनों ही भारतीय टीम की जान है और मौजूदा टीम में सबसे 96 अंतरराष्ट्रीय गोल कर गोल दागने में दूसरे नंबर पर हैं।
ललित उपाध्याय: लाजवाब है कलाकारी : उम्र 29 बरस। भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 133, गोल : 31

स्ट्राइकर ललित उपाध्याय बाबा भोले नाथ की उसी वाराणसी नगरी से आते हैं
जिसने भारत को मोहम्मद शाहिद जैसा बेहतरीन हॉकी कलाकार और विवेक सिंह जैसा सेंटर हाफ दिया ललित उपाध्याय महरूम शाहिद की हॉकी की कलाकारी को आगे बढ़ाने में जुटे हैं।
एक बनाम एक और पेनल्टी शूटआउट में ललित उपाध्याय अपनी हॉकी की कलाकारी के कारण 2023 विश्व कप में भारत की तुरुप के इक्के साबित होने वाले हैं।
दुनिया के सबसे तेज रशर: अमित रोहिदास, उम्र 29 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 131, गोल : 19

अमित रोहिदास ने खुद को ओडिशा के अपने ही गांव सोउनामरा(सुंदर गढ़) की देश को मुस्तैद फुलबैक देने की भारत के लिए तीन ओलंपिक, तीन विश्व कप और तीन एशियाई खेल सहित सबसे ज्यादा 412 अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच वाले हॉकी इंडिया के मौजूदा अध्यक्ष दिलीप टिर्की का सही वारिस साबित किया है।
अमित रोहिदास की गिनती पेनल्टी कॉर्नर पर गोली की रफ्तार से आते ड्रैग फ्लिक को उसी तेजी से रोकने वाले भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे तेज 'रशर' में होती है। साथ ही पेनल्टी कॉर्नर पर खुद ड्रैग फ्लिक से गोल करने भी अमित को खूब आता है।
ड्रैग फ्लिकर के रूप में वरुण देते हैं विकल्प उम्र 27 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 118, गोल : 29
वरुण कुमार भारत की मौजूदा हॉकी टीम में मीठापुर से आने वाले मनप्रीत और मनदीप सिंह के साथ तीसरे अहम खिलाड़ी हैं। भारत के लिए लगातार दूसरा विश्व कप खेलने जा रहे 2016 में जूनियर हॉकी विश्व कप जीतने वाली टीम में हरमनप्रीत सिंह के साथ सुर्खियों आए में आए वरुण कुमार को बतौर ड्रैग फ्लिकर बहुत विकल्प देते हैं। बस ड्राइवर के बेटे वरुण 2017 में बेल्जियम दौरे से भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाने के बाउ 2018 में ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी में रजत, एशियाई खेलों में कांसा और 2018में भुवनेश्वर में विश्व कप के क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाने वाली टीम का अहम हिस्सा रहे।
सुरेन्दर कुमार : रक्षापंक्ति का आधार, उम्र 29 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 172, गोल : 4
लंबे कद के सुरेन्दर कुमार हरियाणा के करनाल के करीब छोटे से गांव से आते हैं। 2013 में भारत की जूनियर हॉकी विश्व कप में अपनी चमक दिखाने के एक बरस के भीतर ही एशियन चैंपियंस ट्रॉफी से सीनियर टीम में जगह बनाने के साथ टीम की रक्षापंक्ति का आधार बन गए सुरेन्दर कुमार। हॉकी इंडिया लीग में दिल्ली वेवराइडर्स के लिए खेलते हुए भारत के रणनीतिक रूप से चतुर कोच माने जाने वाले सैड्रिक डिसूजा के मार्गदर्शन में न्यूजीलैंड के साइमन चाइल्ड के साथ खेल अपना खेल खूब निखारा और 2016 में रियो ओलंपिक में भारत की टीम में खेले। 2018 में भारत के लिए भुवनेश्वर में पहला हॉकी विश्व कप खेला और और जकार्ता में एशियाई खेलों में कांसा जीतने वाली टीम के अहम फुलबैक रहे।
जर्मनप्रीत सिंह : निरंतर बेहतर, उम्र 26 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 50, गोल : 6

जर्मनप्रीत देश के सरहदी सूबे पंजाब के अमृतसर के करीबी गांव से आते हैं। फिलहाल रेलवे में कार्यरत जर्मनप्रीत सिंह ने जूनियर स्तर पर निरंतर अच्छा प्रदर्शन कर 2018 में ब्रेडा में चैंपियंस ट्रॉफी से भारत की सीनियर टीम के लिए आगाज कर उसे रजत पदक जिता बतौर फुलबैक छाप छोड़ी।
मौका मिलने पर जर्मनप्रीत आगे बढ़ कर खुद मैदानी गोल करने के साथ ड्रैग फ्लिक और लौटती गेंद को गोल डालना खूब जानते हैं।
कृष्ण बहादुर पाठक: जीवट के धनी, उम्र 25 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 80
कृष्ण बहादुर पाठक का परिवार 1990 में रोजी रोटी की तलाश में पड़ोसी देश नेपाल से आकर कपूरथला(पंजाब) में बस गया। कृष्ण बहादुर पाठक खुद खेल में रूचि नहीं थी लेकिन पिता टेक बहादुर चाहते थे कि बेटा हॉकी खेले और उन्हें सुरजीत हॉकी में भर्ती करा दिया। बस इसके बाद तो हॉकी उन्हें आने रास लगी। अब नेपाली की बजाय पंजाब के किसी भी खिलाड़ी से बेहतर पंजाबी बोलते हैं। भारत की 2016 में जूनियर विश्व कप जीतने वाली टीम में विकास दहिया के बाद वह दूसरे गोलरक्षक थे।
हार्दिक सिंह: मेहनत रंग लाई, उम्र 26 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 84, गोल : 6

हार्दिक सिंह को हॉकी भले ही विरासत में मिली लेकिन भारत की सीनियर हॉकी टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें खुद को कुंदन की तरह कसौटी पर घिसा।
भारत की जूनियर टीम में न चुने जाने पर गुरमैल सिंह जैसे ओलंपियन और भारत में ड्रैग फ्लिकर के रूप में सबसे पहले पहचान बनाने वाले अपने चाचा जुगराज सिंह की धैर्य धरने की सलाह पर अमल करने का फल उन्हें आखिरकार मिल 2018 में एशियन चैंपियंस जिताने में बतौर रक्षापंक्ति सेंटर हाफ अहम रोल निभाने के बाद उन्हें 2018के भुवनेश्वर हॉकी विश्व कप में देश की नुमाइंदगी का मौका मिला।
शमशेर सिंह : मैदान पर शेर, उम्र 25 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 47, गोल : 10

शमशेर सिंह ने पंजाब के बेहद गरीब से आकर मैदान पर लिंकमैन के रूप में शेर दिल प्रदर्शन कर भारत की सीनियर हॉकी टीम में अपनी नियमित जगह बनाई है।
2019 में टोक्यो टेस्ट इंवेंट से सीनियर भारतीय टीम में आगाज करने के बाद जब आकाशदीप सिंह जैसे सदाबहार स्ट्राइकर को बाहर रख कर शमशेर सिंह को 2020 के टोक्यो ओलंपिक के लिए भारतीय टीम में चुना गया तो तब चीफ कोच सभी आलोचकों के निशाने पर आ गए थे।
विवेक सागर प्रसाद, उम्र 22 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 90, गोल : 16

दद्दा ध्यानचंद की हॉकी विरासत को आगे बढ़ाने वाले भारत की 1975 हॉकी विश्व कप की जीत के हीरो अशोक कुमार सिंह के मध्य प्रदेश हॉकी अकेडमी में शिष्य रहे विवेक सागर प्रसाद का बतौर सेंटर हाफ अपने नाम के मुताबिक 'विवेक' लाजवाब।
विवेक अपने भारतीय टीम के साथी स्ट्राइकरों के लिए बहुत चतुराई से गेंद बढ़ाने के साथ अपने छोटे कद का लाभ उठाते हुए प्रतिद्वंद्वी टीम की रक्षापंक्ति को छका गोल कर हर हॉकी उस्ताद चाहे वह हरेन्द्र सिंह हों ग्राहम रीड हर किसी को अपना मुरीद बना लेते हैं।
2023 में अपना लगातार दूसरा विश्व कप खेलने जा रहे विवेक भारत के लिए 17 बरस की उम्र खेल कर सबसे कम उम्र में खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी हैं।
नीलकांत शर्मा : बराबर आगे, और आगे, उम्र 27 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 91, गोल : 13
नीलकांत शर्मा ने पूर्वोत्तर में मणिपुर की भारतीय हॉकी टीम को कोथाजीत सिंह और चिंगलसाना सिंह जैसे की हॉकी आक्रामक मिडफील्डर की परंपरा को आगे बढ़ाया। 2016 में भारत को लखनउ में जूनियर विश्व कप जिता कर नीलकांत सुर्खियों में आए। 2018 में भुवनेश्वर में पहली बार सीनियर हॉकी विश्व कप में खेले2021 में अर्जुन अवार्ड से नवाजे जा चुके नीलकांत छोर बदल कर हमला बोले दुनिया की किसी भी रक्षापंक्ति को छकाने में सक्षम।
अभिषेक : स्ट्राइकर हैं विशेष, उम्र 23 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 28, गोल : 11
लंबे कद के मजबूत कदकाठी के पहली बार हॉकी विश्व कप में शिरकत करने जा रहे अभिषेक अपनी धार व रफ्तार और कलाकारी के कारण विशेष स्ट्राइकर हैं।
उनमें दुनिया की मजबूत से मजबूत रक्षापंक्ति को भेदने की क्षमता है।
उन्हें खुद गोल करने के साथ पेनल्टी कॉर्नर बनाना भी खूब आता है।
2021-22 में एफआईएच प्रो हॉकी से सीनियर टीम में जगह बनाई। वह भारत की एफआईएच हॉकी प्रो लीग 2021-22 में तीसरे व बीते बरस बर्मिंघम राष्टï्रमंडल खेलों में उपविजेता रही टीम का अहम हिस्सा रहे।
अभिषेक भारत को इस बार हॉकी विश्व कप मे पदक जिताने वही भूमिका निभा सकते हैं जो कि टोक्यो ओलंपिक में बतौर स्ट्राइकर फिलहाल चोट से उबरने में जुटे सिमरनजीत ने निभाई थी।
सुखजीत सिंह: मौके भुना बने दिलजीत, उम्र 26 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 26, गोल :4

पंजाब के नौजवान स्ट्राइकर सुखजीत सिंह ने मौकों भुना की अपनी क्षमता से चीफ कोच ग्राहम रीड को खासा प्रभावित कर अनुभवी दो लंबी स्ट्राइकर-गुरजंट सिंह और दिलप्रीत सिंह को पीछे छोड़ 2023 के हॉकी विश्व कप के लिए भारतीय टीम में जगह पाई।
सुखजीत पर खुद रीड और भारत की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती होगी। वह भारत के लिए एफआईएच प्रो लीग 2021-22 में खेल चुके है।
नीलम संजीप खेस: चुनौती बड़ी, उम्र 24 बरस : भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय हॉकी मैच : 34, गोल :5
ओडिशा के आदिवासी अंचल सुंदरगढ़ के कडुआबहल गांव से आकर जूनियर हॉकी से पहचान बना सीनियर भारतीय टीम में जगह बनाने वाले नीलम संजीप खेस अच्छे फुलबैक हैं। लेकिन उनके चयन पर अभी भी बड़ा सवाल यही है कि क्या वह किले की चौकसी के साथ बतौर ड्रैग फ्लिकर वह विकल्प देंगे जो फिलहाल रिजर्व खिलाडिय़ों में शामिल हैं। नीलम भारत की एफआई प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम तथा ऑस्ट्रेलिया में उसके खिलाफ पांच टेस्ट मैच की सीरीज में जैसी मजबूती दिखाई वैसी विश्व कप मे दिखानी होगी।


