बैंक ऋण धोखाधड़ी करने वालों और मोदी सरकार के बीच मिलीभगत : कांग्रेस
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पिछले सात वर्षों से अधिक समय में जितने भी आर्थिक घोटाले देश में हुए है उन्हें अंजाम देने वालों तथा केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के बीच मिलीभगत है

नई दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि पिछले सात वर्षों से अधिक समय में जितने भी आर्थिक घोटाले देश में हुए है उन्हें अंजाम देने वालों तथा केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के बीच मिलीभगत है।
कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शहंशाह ने देश को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का वादा किया था लेकिन पिछले साढ़े सात वर्षों में देश को 5.35 ट्रिलियन डालर बैंक रिण धोखाधड़ी का उपहार दिया गया है।
उन्होंने गुजरात आधारित एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड की ओर से किए गए 22,842 करोड़ रुपए के ऋण घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी, भारतीय जीवन बीमा निगम को भी नहीं बख्शा गया और सरकारी ,निजी एंव गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में सबसे अधिक आईडीबीआई एंव आईसीआईसी बैंक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं ।
उन्होंने कहा "एक आरटीआई का जवाब मिला है जिसमें पिछले साढ़े सात वर्षो में प्रतिदिन 195.5 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है और वर्ष 2020-21 के दौरान ऐसे धोखाधड़ी मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से की गई रिकवरी की दर मात्र 0.7 प्रशिशत रही है। मोदी सरकार की बैंक धोखाधड़ी करने वालों को पूरी छूट हैं और बैंक लूटो तथा फरार हो जाओ की मोदी सरकार ने प्रायोगिक नीति बनाई है। इस तरह की धोखाधड़ी में जनता की 22,842 करोड़ रुपए की धनराशि डूब गई है। बैंक धोखाधड़ी करने वालों के लिए मोदी सरकार ने धोखाधड़ी करने में आसानी की नीति बना दी है।"
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि अब का सबसे बड़ा 22,842 करोड़ रुपए का घोटाला मोदी सरकार की निगरानी में हुआ है और पांच वर्षों के अंतराल के बाद केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले में गुजरात आधारित कंपनी एबीजी शिपयार्ड के मालिक ऋषि अग्रवाल तथा अन्य के खिलाफ 28 बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज किया है।
भारतीय स्टेट बैंक ने सबसे पहले इस धोखाधड़ी का पता लगाया था और इसमें एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड, कॉपोर्रेट गारंटर एबीजी शिपयार्ड इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, कंपनी के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशक सुशील कुमार अग्रवाल, अश्विनी कुमार (सभी मुंबई से), रवि विमल नेवेतिया (पुणे), अज्ञात व्यक्तियों और लोक सेवकों के नाम सामने आए हैं।
इस घोटाले में निजी ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक को सबसे अधिक 7,089 करोड़ रुपये की चपत लगी है और इसके बाद आईडीबीआई बैंक लिमिटेड को 3,639 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।


