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सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को रोकेगी आचार संहिता

देश के सभी विधानसभा अध्यक्षों एवं विधान परिषदों के सभापतियों ने सदन की कार्यवाही बाधित नहीं होने देने के उद्देश्य से सदस्यों की आचार संहिता बनाने का फैसला किया है।

सदन की कार्यवाही बाधित करने वालों को रोकेगी आचार संहिता
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नई दिल्ली । देश के सभी विधानसभा अध्यक्षों एवं विधान परिषदों के सभापतियों ने सदन की कार्यवाही बाधित नहीं होने देने के उद्देश्य से सदस्यों की आचार संहिता बनाने का फैसला किया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में संसद भवन परिसर में हुई इस बैठक में देश के 30 राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापति शामिल हुए। बैठक के बाद श्री बिरला ने संवाददाताआें से कहा कि सभी विधानसभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद सभापति इस बात पर एकमत हैं कि ये सदन लोकतंत्र के मंदिर हैं और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही है। सदन में कानून बनाते समय सार्थक चर्चा हो लेकिन किसी भी कारण से सदन बाधित नहीं हो और कार्यवाही में कोई व्यवधान नहीं डाला जाये। उन्होंने कहा कि यह सही है कि लोकतंत्र तब ही रहेगा जब विपक्ष मजबूत हो लेकिन यह नहीं हो कि सदन बाधित किया जाये।

श्री बिरला ने कहा, “सबका मानना है कि इसके लिए एक अाचार संहिता बने।” उन्होंने कहा कि इसके लिए विधानसभा अध्यक्षों एवं विधानपरिषद सभापतियों की एक समिति बनाने का फैसला हुआ है जो सभी पक्षों से व्यापक विचार विमर्श करके देहरादून में होने वाले पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान एक रिपोर्ट पेश करेंगे और उसी दौरान इस बारे में अंतिम फैसला लिया जाएगा।

बिरला ने कहा कि बैठक में यह भी विचार किया गया कि सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों में डिजिटल प्रणाली एक समान हो। इसके बारे में भी एक समिति बनायी जाएगी और सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों को इस प्रणाली से जोड़ा जाएगा। बदलती डिजिटल पद्धति के युग में संपूर्ण प्रणाली को समावेशी कैसे बनाया जाए। इस पर भी देहरादून में अंतिम निर्णय लिया गया।

उन्होंने कहा कि सभी का मानना है कि सदन अधिकतम चले और कम खर्च में अधिक कार्यकुशलता से काम हो। इसके लिए एक कार्यवाही रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी। इसके अलावा सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों में बेहतरीन शोध हो। निर्णयों एवं फैसलों के प्रभावी कार्यान्वयन के बारे में राज्यों एवं केन्द्र सरकार के साथ विचार विमर्श होना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विधायी सुधारों के कार्यान्वयन के लिए धन की कमी नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि विधानसभाओं की कार्यवाही के न्यूनतम दिन भी तय करने के बारे में चर्चा हुई है।


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