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कोयले का उपभोग और उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

जब पूरी दुनिया में जीवाश्म ईंधनों को लेकर चिंता है और ग्लोबल वॉर्मिंग कम करने के प्रयास हो रहे हैं, उस वक्त में कोयले का उपभोग सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका है और आने वाले कई साल तक ऐसा ही रहने की संभावना है

कोयले का उपभोग और उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा
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अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा है कि 2022 में कोयले के इस्तेमाल ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अपनी एक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा है कि कोयले का उपभोग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है और आने वाले कुछ सालों तक इसका स्तर यहीं बने रहने की संभावना है.

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद गैस और तेल की कीमतों में हुई वृद्धि और सप्लाई चेन में जारी बाधाओं के चलते कई देशों ने इस साल सस्ता कोयला खरीदने को तरजीह दी है. हीट वेव और सूखे जैसी कुदरती आपदाओं के कारण भी दुनिया के कई देशों में बिजली की कीमतें आसमान पर पहुंचीं और उसके उत्पादन के लिए कोयले के प्रयोग को बढ़ावा मिला. यूरोप के कई देशों में परमाणु बिजली घरों को बंद करना पड़ा जिसके कारण भी कोयला ज्यादा प्रयोग हुआ.

अपनी सालाना रिपोर्ट में आईईए ने कहा कि इस साल कोयले का प्रयोग आठ अरब टन को पार कर जाएगा जो पिछले साल से 1.2 फीसदी ज्यादा है और 2013 के पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है. इस रिपोर्ट में यह भी अनुमान जाहिर किया गया है कि 2025 तक कोयले का उपभोग लगभग इसी स्तर पर बना रहेगा क्योंकि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा की मांग बढ़ रही है. यानी, कोयला आने वाले कई साल तक कार्बन उत्सर्जन का सबसे मुख्य स्रोत बना रहेगा.

भारत में सबसे ज्यादा मांग

कोयले की मांग में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी भारत में रहने की संभावना है. यहां मांग में 7 फीसदी तक की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया गया है. उसके बाद यूरोपीय संघ का नंबर है जहां मांग में 6 प्रतिशत की वृद्धि होगी. चीन में 0.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान है.

आईईए में ऊर्जा बाजार और सुरक्षा विभाग के निदेशक केसुके सादामोरी ने कहा, "दुनिया जीवाश्म ईंधनों के उपभोग के चरम पर पहुंचने वाली है. उसके बाद सबसे पहले कोयले के उपभोग में कमी से शुरुआत होगी. लेकिन हम अभी वहां नहीं पहुंचे हैं.”

यूरोप में मांग में वृद्धि की मुख्य वजहरूसी गैस की कीमतों और सप्लाई में आई बाधाओं के कारण कोयले पर निर्भरता बढ़ना रही है. हालांकि रिपोर्ट कहती है कि यूरोप में कोयले की मांग 2025 तक इस स्तर से नीचे चले जाने की संभावना है.

उत्पादन और उपभोग के नए रिकॉर्ड

रिपोर्ट में यह संभावना भी जताई गई है कि कोयले से बिजली उत्पादन का स्तर इस साल वैश्विक स्तर पर बढ़कर 10.3 टेरावॉट घंटों का नया रिकॉर्ड बना सकता है. कोयले का उत्पादन भी 5.4 प्रतिशत बढ़कर 8.3 अरब टन के स्तर पर पहुंच सकता है जो एक नया रिकॉर्ड होगा. अनुमान है कि अगले साल यह उत्पादन अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाएगा और 2025 के बाद इसमें कमी आनी शुरू होगी.

दुनिया के तीन सबसे बड़े कोयला उत्पादक देश चीन, भारत और इंडोनेशिया हैं. वे इस साल अपने उत्पादन के नए रिकॉर्ड बना सकते हैं. हालांकि निर्यात के लिए कोयले परियोजनाओं के निवेश में वृद्धि के संकेत नहीं दिख रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इससे पता चलता है कि निवेशकों और खनन कंपनियों में कोयले की उपयोगिता को लेकर संदेह हैं.


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