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नपं अध्यक्ष की कार्यशैली से आने को तैयार नहीं सीएमओ

नगर पंचायत छुरीकला में सीएमओ का पद रिक्त होने के कई माह बाद भी यहां नये सीएमओ की पदस्थापना नहीं हो सकी है

नपं अध्यक्ष की कार्यशैली से आने को तैयार नहीं सीएमओ
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कोरबा-छुरीकला। नगर पंचायत छुरीकला में सीएमओ का पद रिक्त होने के कई माह बाद भी यहां नये सीएमओ की पदस्थापना नहीं हो सकी है। इस तारतम्य में नगर पंचायत के विपक्ष ने आरोप लगाया है कि नपं अध्यक्ष अशोक देवांगन की कार्यशैली, कमीशनखोरी के कारण कोई भी सीएमओ यहां आने को तैयार नहीं है।

नगर पंचायत उपाध्यक्ष श्रीमती सुशीला बिंझवार, पूर्व अध्यक्ष हीरानंद पंजवानी, एल्डरमैन रामधन देवांगन, कृष्णचंद्र अग्रवाल, पार्षद रमेश श्रीवास, जगदीश देवांगन, भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिलाध्यक्ष संतोष देवांगन, विधायक प्रतिनिधि करुणा शंकर देवांगन ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि कटघोरा विधायक लखनलाल देवांगन ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नगरीय निकाय मंत्री, सांसद डॉ. बंशीलाल महतो को पत्र लिखकर सीएमओ की यथाशीघ्र पदस्थापना का आग्रह किया है।

इनका आरोप है कि नगर पंचायत अध्यक्ष की कार्यशैली के कारण कोई भी सीएमओ यहां आने को तैयार नहीं है। सांसद और विधायक की अनुशंसा पर जितने भी विकास कार्यों की स्वीकृति हुई है, अध्यक्ष की मंशा इन कार्यों को गति देने की नहीं है। सांसद निधि से 10 लाख का सामुदायिक भवन 2016 से अटका है, विधायक निधि से 6 लाख का सामुदायिक भवन 2017 से स्वीकृत है किन्तु कमीशन के चक्कर में कार्यों का टेंडर बार-बार पीआईसी द्वारा निरस्त किया जा रहा है।

आरोप लगाया गया कि यहां के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए कागजात एवं फाइलों को सुनियोजित तरीके से आग लगा दिया। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए ताकि आग किस कारण से लगी या जान बूझकर लगाई गई, यह स्पष्ट हो सके।

आरोप बेबुनियाद, जांच करा ले विपक्ष : अध्यक्ष
आरोपों के संदर्भ में अध्यक्ष अशोक देवांगन का कहना है कि अपनी ही सरकार में सांसद-विधायक सीएमओ पदस्थ करा पाने में अक्षम हैं जबकि मैं अकेला कांग्रेस पार्टी का यहां नगर पंचायत अध्यक्ष हूं। भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच करा लें। रही बात आग से नुकसान की तो वहां केवल संपत्ति कर, जल कर, समेकित कर जमा होता था और सभी रिकॉर्ड ऑनलाईन व आधार लिंक हो चुके हैं तो भ्रष्टाचार छिपाने जैसी कोई बात ही नहीं है।

किसी भी तरह के दस्तावेज में सीएमओ व एकाउंटेंट का हस्ताक्षर होता है और अब तो सीए लगाकर ऑडिट कराये जा रहे हैं तो फिर भ्रष्टाचार या कमीशनखोरी का प्रश्न ही नहीं उठता, आरोप बेबुनियाद है बल्कि पार्षद ही अपनी निधि अपने वार्ड में खर्च नहीं कर पा रहे हैं और राशि लेप्स हो रही है। उन्होंने विपक्ष के विरूद्ध न्यायालय में परिवाद पेश करने की भी बात कही।


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