Top
Begin typing your search above and press return to search.

अब महाराष्ट्र की बारी?

10 वर्षों का भारतीय जनता पार्टी का शासन, किसान आंदोलन के दौरान अन्नदाताओं के साथ हुई शासन की ज्यादतियां, महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार, विनेश फेक्टर समेत कई मुद्दे एक तरफ, तो दूसरी ओर राहुल गांधी का अपने दम पर किया गया प्रचार हरियाणा में कांग्रेस को बड़ी जीत की दहलीज पर खड़ा दिखला रहा है

अब महाराष्ट्र की बारी?
X

10 वर्षों का भारतीय जनता पार्टी का शासन, किसान आंदोलन के दौरान अन्नदाताओं के साथ हुई शासन की ज्यादतियां, महिला पहलवानों के साथ दुर्व्यवहार, विनेश फेक्टर समेत कई मुद्दे एक तरफ, तो दूसरी ओर राहुल गांधी का अपने दम पर किया गया प्रचार हरियाणा में कांग्रेस को बड़ी जीत की दहलीज पर खड़ा दिखला रहा है। इसके लिये मतदान शनिवार को हुआ था। ज्यादातर एक्जिट पोल साफ बता रहे हैं कि राहुल गांधी ने वहां जो आंधी चलाई थी, वह भाजपा समेत अन्य सारे दलों को उड़ा ले जायेगी। हरियाणा में जारी वोटिंग के बीच राहुल ने शनिवार को ही महाराष्ट्र में जो चुनावी प्रचार का बिगुल फूंका है, उसी से सवाल उठ रहा है कि क्या अब महाराष्ट्र की बारी है? सवाल इस सन्दर्भ में है कि यहां भी भारतीय जनता पार्टी को बहाकर ले जाने की तैयारी में कांग्रेस है; वैसे यहां आंधी या तूफान नहीं, सुनामी की बात कही जा रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सफलता उसका ट्रेलर था।

हरियाणा में कांग्रेस के सामने कई तरह के अवरोध थे। पहला तो यह कि यहां भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सैलजा कुमारी के बीच मनमुटाव। वे राहुल ही थे जिन्होंने नूंह की सभा में दोनों के हाथ मिलवा कर पार्टी के एकजुट होने का संदेश दिया। यहां इंडिया की एक सहयोगी आम आदमी पार्टी अलग चुनाव लड़ रही है। विधानसभा में सीटों की संख्या के लिहाज से महाराष्ट्र हरियाणा के मुकाबले तीन गुना बड़ा है। हरियाणा में 90 सीटें हैं, तो महाराष्ट्र में 288। जाहिर है कि यहां मुकाबला भी बड़ा है। यहां भाजपा ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चल रही शिवसेना और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कांग्रेस के साथ चल रही सरकार को गिराकर नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार बनाई थी। इसमें शिवसेना के एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री तथा एनसीपी के अजित पवार को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। स्वयं देवेन्द्र फडणवीस डिप्टी सीएम हैं। इसके कारण जनता तो नाराज है ही, खुद भाजपा के भीतर असंतोष है। यहां के सामान्य नागरिक अब भी ठाकरे की शिवसेना तथा शरद पवार की एनसीपी को असली मानते हैं- बेशक अदालती फैसले क्रमश: शिंदे एवं अजित के पक्ष में गये हों। एनडीए कमजोर स्थिति में है। चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद वह कितनी एकजुट रह पाती है, यह देखने वाली बात होगी।

अजित पवार को लेकर भाजपा में सर्वाधिक नाराज़गी है। दूसरी तरफ उनके बारे में कहा जा रहा है कि वे कभी भी अपने चाचा शरद पवार के पास लौट सकते हैं। वे एनसीपी से अलग होने की अपनी गलती मान चुके हैं। साथ ही वे सम्भवत: अब चुनाव न लड़ें। ऐसा होता है तो वे अपने चाचा के लिये काम करते दिख सकते हैं। दूसरी तरफ यहां इंडिया बेहद मजबूत है तथा राहुल सर्वमान्य नेता हैं। पिछले दिनों इंडिया की जितनी भी बड़ी सभाएं या कार्यक्रम हुए हैं- सभी में उद्धव तथा शरद पवार शामिल हुए। वैसे तो उद्धव सीएम पद के सबसे बड़े चेहरे हैं लेकिन पिछले दिनों एक बैठक में उन्होंने साफ कर दिया था कि उनके लिये मुद्दा यह नहीं है कि सीएम कौन होगा। भाजपा को हराना उनका लक्ष्य है। सीएम पद का विवाद उन्होंने यह कहकर समाप्त कर दिया था कि सभा में उपस्थित कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले तथा शरद पवार जिसे चाहें अभी भावी मुख्यमंत्री की घोषणा कर सकते हैं। उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तथा वे इंडिया के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।

इस राज्य में राहुल बड़ी तैयारी से उतरे हैं। उनकी 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का समापन 16 मार्च को मुम्बई में ही हुआ था और उसके पहले शिवाजी पार्क में एक विशाल रैली भी हुई थी। रास्ते में वे नागपुर के चैत्य भूमि पर एक बड़ा कार्यक्रम कर चुके थे, जहां बाबासाहेब अंबेडकर ने अपने लाखों अनुयायियों को दीक्षा देकर नव बौद्ध बनाया था। फिर, राहुल का सामाजिक न्याय का मुद्दा इस प्रदेश में खूब रंग पकड़ रहा है जो सामाजिक सुधारों की भूमि है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार यहां 26 नवम्बर के पहले चुनावी प्रक्रिया पूरी करने का ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में राहुल की शनिवार को कोल्हापुर में हुई विशाल सभा ने बता दिया है कि कांग्रेस व इंडिया को वैसा ही बड़ा समर्थन मिलता हुआ दिखेगा जैसा कि हरियाणा में दिखलाई पड़ा था। उल्लेखनीय है कि कोल्हापुर में ही शाहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार आरक्षण की व्यवस्था की थी।

चुनाव-दर-चुनाव राजनैतिक रूप से परिपक्व होते राहुल मुद्दों को पकड़ना और जनता के बीच उछालना बखूबी सीख गये हैं। यहां उन्होंने शिवाजी को लेकर बड़ा दांव खेल दिया है। याद हो कि पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में शिवाजी की वह मूर्ति ढह गयी थी जिसका अनावरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। इस पर मोदी ने बार-बार सभी से माफी मांगी थी। इसे लेकर राहुल पीएम पर टूट पड़े। उन्होंने कहा कि 'मोदी और भाजपा शिवाजी को नहीं मानते इसलिये शिवाजी की मूर्ति ढह गयी।' इतना ही नहीं, राहुल के हाथों कोल्हापुर में ही एक मूर्ति का अनावरण कराकर भाजपा को उसी की भाषा में कांग्रेस ने जवाब दिया है। महाराष्ट्र के कुछ प्रोजेक्ट गुजरात ले जाने तथा मुम्बई की कुछ परियोजनाएं अदानी समूह को देना भी यहां भाजपा को महंगा पड़ रहा है। शनिवार की शाम आये एक्जिट पोल्स ने हरियाणा में कांग्रेस की बम्पर जीत बतलाई है, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस व नेशनल कांफ्रेंस की सरकार बनने के संकेत हैं। यही परिदृश्य महाराष्ट्र का भी दिखता है।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it