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राजस्थान, छत्तीसगढ़ के सीएम करेंगे सोनिया से मुलाकात, पीके संग भी होगी चर्चा

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल बुधवार को दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। गहलोत सुबह 11 बजे दिल्ली पहुंच गए

राजस्थान, छत्तीसगढ़ के सीएम करेंगे सोनिया से मुलाकात, पीके संग भी होगी चर्चा
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नई दिल्ली, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल बुधवार को दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। गहलोत सुबह 11 बजे दिल्ली पहुंच गए। इसके बाद 10 जनपथ पहुंचेगे। जानकारी के अनुसार अगले महीने 14 मई को प्रस्तावित कांग्रेस के चिंतन शिविर की तैयारियों को लेकर बुधवार को अंतिम रूप दिया जाएगा। इसके साथ ही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस पिछले 4 दिन में 3 बैठक कर चुकी है। वहीं, बुधवार को फिर से चौथी बैठक होने जा रही है। दोनों कांग्रेस शासित राज्यों के सीएम इस बैठक में भी मौजूद रहेंगे।

बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ प्रशांत किशोर भी शामिल रहेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे।

दरअसल, हाल में हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस को फिर से खड़ी करने की कवायदें तेज हो गई है। 10 जनपथ पर सोनिया गांधी लगातार कांग्रेस नेताओं के साथ बैठकें कर रही हैं। पार्टी के तमाम नेताओं से मिलकर क्षेत्र के हालात का जायजा ले रहीं हैं जिसके बाद कांग्रेस पार्टी एक चिंतन शिविर की तैयारी कर रही है। तीन दिन तक चलने वाले इस शिविर में नेताओं व कार्यकर्ताओं से हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी।

साथ ही कांग्रेस गुजरात, हिमाचल प्रदेश के साथ ही अगले वर्ष होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति बनाएगी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के मुकाबले के लिए गठबंधन की नई सियासत शुरू करने पर भी चर्चा हो सकेगी। इस शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता व महासचिव भाग लेंगे।

उम्मीद ये लगाई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी के इस चिंतन शिविर में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद रह सकते हैं। हालांकि उनके कांग्रेस में शामिल होने को लेकर अब तक तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। पार्टी के कुछ नेता अन्य राजनीतिक दलों से उनके करीबी संबंध होने के चलते इसका विरोध कर रहे हैं।


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